Aarti Sirsat

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चेहरा तिरा इक किताब सा है.... मिरी नज़रों में जो बस गया ख्वाब सा है.... ................. ❤.................... तिरी आँखों में लिखी जो ग़ज़ल है, उसका नशा जैसे कोई शराब सा है.... ................. ❤.................... मुस्कान में उनकी जो राज छिपा है, खिला वो कांटों में कोई गुलाब सा है.... ................. ❤.................... उनका चलना और इन हवाओं की सांसों का थमना, रफ़्तार में भी उनके मिला इक रूबाब सा है.... ................. ❤.................... जमाने की उलझनों में उलझा एक सवाल हूँ मैं वो मिरी सारी उलझनों के सभी जवाब सा है.... ................. ❤.................... दुनिया की इस भीड़ में हमारा मिलना ऐसा जैसे मिलना काफ़िर को रब सा है.... ................. ❤....................                                              आरती सिरसाट ©Aarti Sirsat

#कविता #lovetaj  चेहरा तिरा इक किताब सा है.... 
मिरी नज़रों में जो बस गया ख्वाब सा है....
................. ❤....................

तिरी आँखों में लिखी जो ग़ज़ल है, 
उसका नशा जैसे कोई शराब सा है.... 
................. ❤.................... 

मुस्कान में उनकी जो राज छिपा है, 
खिला वो कांटों में कोई गुलाब सा है.... 
................. ❤.................... 

उनका चलना और इन हवाओं की सांसों का थमना, 
रफ़्तार में भी उनके मिला इक रूबाब सा है.... 
................. ❤.................... 

जमाने की उलझनों में उलझा एक सवाल हूँ मैं
वो मिरी सारी उलझनों के सभी जवाब सा है.... 
................. ❤.................... 

दुनिया की इस भीड़ में हमारा मिलना
ऐसा जैसे मिलना काफ़िर को रब सा है.... 
................. ❤.................... 
                       
                      आरती सिरसाट

©Aarti Sirsat

#Love #lovetaj

13 Love

Village Life गुम है सभी अपनी- अपनी परेशानियों में, यहां एक दूसरे का हालचाल अब पूछता कौन है....! क्या फर्क पड़ता है आँसू गम के है या खुशी के है, यहां आँसुओं की भाषा अब समझता कौन है....!! नाजुक से दिल को तोड़कर सुकून की नींद आ जाती है, यहां लैला मजनूँ जैसी मौहब्बत अब करता कौन है....! उत्सव मनाया जाता है अब तो दिलों से खेलकर यहां खिलौनों से भला अब खेलता कौन है....!! मैं तो पूछता चला गया हर मोड़ पर मंजिल का पता, मगर यहां सही रास्ता अब दिखाता कौन है...! दिखाया जाता है सच्चाई का आइना एक दूसरे को, मगर यहां खुद के भीतर अब झाँकता कौन है....!! सौ कारण दे दियें जायेंगे आँसू बहाने के लिए, वजह हँसाने की यहां अब जानता कौन है....! छोड़ दिया जाता है आधें रास्ते में ही हाथ को, जनाब यहां पूरा साथ अब निभाता कौन है....!! ©Aarti Sirsat

#कविता #villagelife #poem  Village Life गुम है सभी अपनी- अपनी परेशानियों में,
यहां एक दूसरे का हालचाल अब पूछता कौन है....!
क्या फर्क पड़ता है आँसू गम के है या खुशी के है,
यहां आँसुओं की भाषा अब समझता कौन है....!!

नाजुक से दिल को तोड़कर सुकून की नींद आ जाती है,
यहां लैला मजनूँ जैसी मौहब्बत अब करता कौन है....!
उत्सव मनाया जाता है अब तो दिलों से खेलकर
यहां खिलौनों से भला अब खेलता कौन है....!!

मैं तो पूछता चला गया हर मोड़ पर मंजिल का पता,
मगर यहां सही रास्ता अब दिखाता कौन है...!
दिखाया जाता है सच्चाई का आइना एक दूसरे को,
मगर यहां खुद के भीतर अब झाँकता कौन है....!!

सौ कारण दे दियें जायेंगे आँसू बहाने के लिए,
वजह हँसाने की यहां अब जानता कौन है....!
छोड़ दिया जाता है आधें रास्ते में ही हाथ को,
जनाब यहां पूरा साथ अब निभाता कौन है....!!

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मैनें प्रत्येक प्रकार का हर दर्द सहा, यह जानते हुए कि सहना एक अपराध है...! ©Aarti Sirsat

#शायरी #brockenheart #Chhavi  मैनें प्रत्येक प्रकार का हर दर्द सहा, 
यह जानते हुए कि सहना एक अपराध है...!

©Aarti Sirsat

तुम बनाओं... अपनी बेटियों को सुंदर ओर सुंदर क्योंकि सरकारी नौकरी वाला लड़का सुंदरता को ही प्राथमिकता देता है उसे प्रतिभा से कोई लेना देना नहीं होता। इसलिए... ओर सुंदर बनाओं अपनी बेटियों को, वैसे भी गीता- बबीता बनाने की तुम्हारी और तुम्हारी बेटियों की औक़ात से बाहर है। तुम बना भी नहीं पाओगे उसे ना रानी लक्ष्मीबाई, ना सावित्री बाई फुले, ना कल्पना चावला, ना दुर्गावती, ना ओर कोई... क्योंकि ऐ सब करने से उनका मेकअप खराब हो जाएगा...! ©Aarti Sirsat

#विचार #motivatation #lalishq  तुम बनाओं... 
अपनी बेटियों को सुंदर ओर सुंदर
क्योंकि सरकारी नौकरी वाला लड़का सुंदरता को ही 
प्राथमिकता देता है 
उसे प्रतिभा से कोई लेना देना नहीं होता। 
इसलिए...
ओर सुंदर बनाओं अपनी बेटियों को, 
वैसे भी गीता- बबीता बनाने की तुम्हारी और 
तुम्हारी बेटियों की औक़ात से बाहर है। 
तुम बना भी नहीं पाओगे उसे ना रानी लक्ष्मीबाई, 
ना सावित्री बाई फुले, ना कल्पना चावला, ना दुर्गावती, 
ना ओर कोई... 
क्योंकि ऐ सब करने से उनका मेकअप खराब हो जाएगा...!

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वक्त शायद जख़्मो को भर भी दे, मगर जाओं... जिंदगी से पूछकर आओं... क्या वोह मेरी उम्र की भरपाई कर पायेगी....! ©Aarti Sirsat

#विचार #poem  वक्त शायद जख़्मो को भर भी दे, 
मगर जाओं... 
जिंदगी से पूछकर आओं... 
क्या वोह मेरी उम्र की भरपाई कर पायेगी....!

©Aarti Sirsat

#poem

17 Love

कुछ इस तरह उससे उसकी जात पूछी जाती है... सरेआम बेझिझक उससे ये बात पूछी जाती है... तुम नहीं जान पाओगें दर्द उसका वो लड़का है जनाब पानी से पहले उससे उसकी औक़ात पूछी जाती है... वो रो भी नहीं सकता खुल के ना वो अपने दर्द का बखान करता है, ना उससे उसकी हालत पूछी जाती है... संग अपने परिवार की जिम्मेदारियों का भार रखता है, कहाँ उससे अब अपने सपनों की बारात पूछी जाती है... कर लेता है सहन हर गम अपनों की खातिर, नाराज भी हो तो कहाँ उससे उसके आंखों की बरसात पूछी जाती है.. ©Aarti Sirsat

#कविता #Exploration #boylife  कुछ इस तरह उससे उसकी जात पूछी जाती है... 
सरेआम बेझिझक उससे ये बात पूछी जाती है... 

तुम नहीं जान पाओगें दर्द उसका वो लड़का है जनाब 
पानी से पहले उससे उसकी औक़ात पूछी जाती है... 

वो रो भी नहीं सकता खुल के ना वो अपने दर्द का 
बखान करता है, ना उससे उसकी हालत पूछी जाती है... 

संग अपने परिवार की जिम्मेदारियों का भार रखता है, 
कहाँ उससे अब अपने सपनों की बारात पूछी जाती है... 

कर लेता है सहन हर गम अपनों की खातिर, नाराज भी 
हो तो कहाँ उससे उसके आंखों की बरसात पूछी जाती है..

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