हाल दिल का अगर बताते हम
आज तुझको भी याद आते हम
उम्र भर तैरते नहीं रहते
गर कभी तुझमें डूब जाते हम
हुस्न मगरुरियत में अँधा था
सुर्ख आँखें किसे दिखाते हम
मौत गर बीच में नहीं आती
ज़िन्दगी तुझसे जीत जाते हम
ध्यान पत्थर से गर हटा लेते
चोट इक फूल से न खाते हम
सब यहाँ दर्द-ए-दिल के मारे हैं
किसकी सुनते, किसे सुनाते हम
बाद मरने के काम क्या आता
नाम फिर किसलिए कमाते हम
# hal dil ka agar batate hum....