Vishal Chandanshive

Vishal Chandanshive Lives in Aurangabad, Maharashtra, India

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हमारे चेहरे पे ग़म भी नहीं, ख़ुशी भी नहीं अंधेरा पूरा नहीं, पूरी रौशनी भी नहीं है दुश्मनों से कोई ख़ास दुश्मनी भी नहीं जो दोस्त अपने हैं उनसे कभी बनी भी नहीं मैं कैसे तोड़ दूँ दुनिया से सारे रिश्तों को अभी तो पूरी तरह उससे लौ लगी भी नहीं अजीब रुख़ से वो बातों को मोड़ देता है कि जैसे बात ग़लत भी नहीं, सही भी नहीं तुम्हारे पास हक़ीक़त में इक समुन्दर है हमारे ख़्वाब में छोटी-सी इक नदी भी नहीं कोई बताये ख़ुशी किसके साथ रहती है हमें तो एक ज़माने से वो दिखी भी नहीं ©Vishal Chandanshive

#Happiness #SAD #Ha  हमारे चेहरे पे ग़म भी नहीं, ख़ुशी भी नहीं
अंधेरा पूरा नहीं, पूरी रौशनी भी नहीं

है दुश्मनों से कोई ख़ास दुश्मनी भी नहीं
जो दोस्त अपने हैं उनसे कभी बनी भी नहीं

मैं कैसे तोड़ दूँ दुनिया से सारे रिश्तों को
अभी तो पूरी तरह उससे लौ लगी भी नहीं

अजीब रुख़ से वो बातों को मोड़ देता है
कि जैसे बात ग़लत भी नहीं, सही भी नहीं

तुम्हारे पास हक़ीक़त में इक समुन्दर है
हमारे ख़्वाब में छोटी-सी इक नदी भी नहीं

कोई बताये ख़ुशी किसके साथ रहती है
हमें तो एक ज़माने से वो दिखी भी नहीं

©Vishal Chandanshive

खुशी😥😥😥 #Ha #Happiness #SAD #no #nojoto

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अब न दवाएं लेनी हैं किसीसे, और न दुआएँ लेनी हैं किसीसे, ये हवाएँ चलती रहेंगी, और जख़्म भरते रहेंगे!! (विशु) ©Vishal Chandanshive

#प्यार #संगीत #Hopeless #shayri #alone  अब न दवाएं लेनी हैं किसीसे,
और न दुआएँ लेनी हैं किसीसे,
ये हवाएँ चलती रहेंगी,
और जख़्म भरते रहेंगे!!
(विशु)

©Vishal Chandanshive

हवाएँ चलती रहेंगी जख़्म भरते रहेंगे!!!! #Hopeless #shayri #alone #SAD #na #no #संगीत #प्यार

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मेरे ख्वाबों में आना जानता है मुहब्बत वो जताना जानता है जुदाई को मुकद्दर करके मेरा वो यादों में जलाना जानता है मोहब्बत को मेरी क़िस्मत बनाकर वो रातों को जगाना जानता है निगाहें रुख़ पे मेरे जम गयी हैं मुझे यूँ ही सजाना जानता है लबों पर नाम मेरा ही सजाकर मुझे वो गुनगुनाना जानता है ज़माने में मेरी इज्ज़त की ख़ातिर मेरे ख़त वो छुपाना जानता है अदा अपनी चलाकर इश्क़ की वो तमन्ना 'विशु'की मिटाना जानता है

 मेरे ख्वाबों में आना जानता है
मुहब्बत वो जताना जानता है

जुदाई को मुकद्दर करके मेरा
वो यादों में जलाना जानता है

मोहब्बत को मेरी क़िस्मत बनाकर
वो रातों को जगाना जानता है

निगाहें रुख़ पे मेरे जम गयी हैं
मुझे यूँ ही सजाना जानता है

लबों पर नाम मेरा ही सजाकर
मुझे वो गुनगुनाना जानता है

ज़माने में मेरी इज्ज़त की ख़ातिर
मेरे ख़त वो छुपाना जानता है

अदा अपनी चलाकर इश्क़ की वो
तमन्ना 'विशु'की मिटाना जानता है

मेरे ख्वाबों में आना जानता हैं ... After a very long period on Nojoto ... Plz like and Share my Thoughts Friends ....

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उसे कुछ तो गिला-शिकवा रहा होगा नहीं यूँ ही जुदा मुझसे हुआ होगा मेरा ये हाल जब उसने सुना होगा तब उसको एक सदमा-सा लगा होगा यकीं वो इश्क़ पर करता है मुश्किल से किसी के प्यार ने उसको छला होगा बिखर तू तो गया इक ज़ख्म खाने से कुछ उसकी सोच जो शायर बना होगा हुआ जिस वक़्त होगा वो जुदा मुझसे दिल उसका भी नहीं कुछ कम दुखा होगा भुलाया है मुझे उसने तभी 'विशाल' उसे मुझसे कोई बेह्तर मिला होगा

#उसे #poem  उसे कुछ तो गिला-शिकवा रहा होगा
नहीं यूँ ही जुदा मुझसे हुआ होगा

मेरा ये हाल जब उसने सुना होगा
तब उसको एक सदमा-सा लगा होगा

यकीं वो इश्क़ पर करता है मुश्किल से
किसी के प्यार ने उसको छला होगा

बिखर तू तो गया इक ज़ख्म खाने से
कुछ उसकी सोच जो शायर बना होगा

हुआ जिस वक़्त होगा वो जुदा मुझसे
दिल उसका भी नहीं कुछ कम दुखा होगा

भुलाया है मुझे उसने तभी 'विशाल'
उसे मुझसे कोई बेह्तर मिला होगा

#उसे मुझसे कोई बेहतर मिला होगा। 😔😔😔😔😔😔😔😔😔😔

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हाल दिल का अगर बताते हम आज तुझको भी याद आते हम उम्र भर तैरते नहीं रहते गर कभी तुझमें डूब जाते हम हुस्न मगरुरियत में अँधा था सुर्ख आँखें किसे दिखाते हम मौत गर बीच में नहीं आती ज़िन्दगी तुझसे जीत जाते हम ध्यान पत्थर से गर हटा लेते चोट इक फूल से न खाते हम सब यहाँ दर्द-ए-दिल के मारे हैं किसकी सुनते, किसे सुनाते हम बाद मरने के काम क्या आता नाम फिर किसलिए कमाते हम

 हाल दिल का अगर बताते हम
आज तुझको भी याद आते हम
उम्र भर तैरते नहीं रहते
गर कभी तुझमें डूब जाते हम
हुस्न मगरुरियत में अँधा था
सुर्ख आँखें किसे दिखाते हम
मौत गर बीच में नहीं आती
ज़िन्दगी तुझसे जीत जाते हम
ध्यान पत्थर से गर हटा लेते
चोट इक फूल से न खाते हम
सब यहाँ दर्द-ए-दिल के मारे हैं
किसकी सुनते, किसे सुनाते हम
बाद मरने के काम क्या आता
नाम फिर किसलिए कमाते हम

# hal dil ka agar batate hum....

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वो बेवफ़ा है उसे क्या सिखा रहा हूँ मैं वफ़ा की बात उसे क्यों बता रहा हूँ मैं तमाम रात मुझे निंद कैसे आएगी तमाम रात यही सोचता रहा हूँ मैं ख़फा-ख़फा सी रही है ये जिंदगी मुझसे ख़फा-ख़फा ही सही चाहता रहा हूँ मैं मैं उससे जब भी मिला हूँ, मिला सलीक़े से ये और बात की अक़्सर ख़फ़ा रहा हूँ मैं वो एक शख़्स जो सबकी दुआ में है शामिल उसी ही शख़्स को बस चाहता रहा हूँ मैं

#Woh  वो बेवफ़ा है उसे क्या सिखा रहा हूँ मैं
वफ़ा की बात उसे क्यों बता रहा हूँ मैं
तमाम रात मुझे  निंद कैसे आएगी
तमाम रात यही सोचता रहा हूँ मैं
ख़फा-ख़फा सी रही है ये जिंदगी मुझसे
ख़फा-ख़फा ही सही चाहता रहा हूँ मैं
मैं उससे जब भी मिला हूँ, मिला सलीक़े से
ये और बात की अक़्सर ख़फ़ा रहा हूँ मैं
वो एक शख़्स जो सबकी दुआ में है शामिल
उसी ही शख़्स को बस चाहता रहा हूँ मैं

#Woh bewafa hain use kya sikha raha hoon mein...

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