वो बेवफ़ा है उसे क्या सिखा रहा हूँ मैं वफ़ा की बात | हिंदी Shayari

"वो बेवफ़ा है उसे क्या सिखा रहा हूँ मैं वफ़ा की बात उसे क्यों बता रहा हूँ मैं तमाम रात मुझे निंद कैसे आएगी तमाम रात यही सोचता रहा हूँ मैं ख़फा-ख़फा सी रही है ये जिंदगी मुझसे ख़फा-ख़फा ही सही चाहता रहा हूँ मैं मैं उससे जब भी मिला हूँ, मिला सलीक़े से ये और बात की अक़्सर ख़फ़ा रहा हूँ मैं वो एक शख़्स जो सबकी दुआ में है शामिल उसी ही शख़्स को बस चाहता रहा हूँ मैं"

 वो बेवफ़ा है उसे क्या सिखा रहा हूँ मैं
वफ़ा की बात उसे क्यों बता रहा हूँ मैं
तमाम रात मुझे  निंद कैसे आएगी
तमाम रात यही सोचता रहा हूँ मैं
ख़फा-ख़फा सी रही है ये जिंदगी मुझसे
ख़फा-ख़फा ही सही चाहता रहा हूँ मैं
मैं उससे जब भी मिला हूँ, मिला सलीक़े से
ये और बात की अक़्सर ख़फ़ा रहा हूँ मैं
वो एक शख़्स जो सबकी दुआ में है शामिल
उसी ही शख़्स को बस चाहता रहा हूँ मैं

वो बेवफ़ा है उसे क्या सिखा रहा हूँ मैं वफ़ा की बात उसे क्यों बता रहा हूँ मैं तमाम रात मुझे निंद कैसे आएगी तमाम रात यही सोचता रहा हूँ मैं ख़फा-ख़फा सी रही है ये जिंदगी मुझसे ख़फा-ख़फा ही सही चाहता रहा हूँ मैं मैं उससे जब भी मिला हूँ, मिला सलीक़े से ये और बात की अक़्सर ख़फ़ा रहा हूँ मैं वो एक शख़्स जो सबकी दुआ में है शामिल उसी ही शख़्स को बस चाहता रहा हूँ मैं

#Woh bewafa hain use kya sikha raha hoon mein...

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