जहाँ जहाँ से मैं गुजरु
मैं एक पुकार सुनती हूँ
कोई है यहाँ मुझे समझनेवाला
सुनकर मैं सहमीसी जाती हूँ
रसोई मेरी ,बर्तन मेरे
घर के सारे काम मेरे
मैं बस किये और किये ही जाती हूँ
कोई है यहाँ मुझे समझनेवाला
सुनकर मैं सहमीसी जाती हूँ
पति का अपना रौब है
बच्चों के अपने शौक है
मैं सबको खुश करके थक जाती हूँ
कोई है यहाँ मुझे समझनेवाला
सुनकर मैं सहमीसी जाती हूँ
सबके लिए हूँ मैं
काम के लिए हूँ मैं
सबकी होकर भी अकेला खुदको पाती हूँ
कोई है यहाँ मुझे समझनेवाला
सुनकर मैं सहमीसी जाती हूँ.....
मी माझी.....
©Sangeeta Kalbhor
#outofsight जहाँ जहाँ से मैं गुजरु
मैं एक पुकार सुनती हूँ
कोई है यहाँ मुझे समझनेवाला
सुनकर मैं सहमीसी जाती हूँ
रसोई मेरी ,बर्तन मेरे
घर के सारे काम मेरे
मैं बस किये और किये ही जाती हूँ