#SaferMotherHoodDay कहीं आधी रात को गूँज उठी किलका | हिंदी Poetry Vide

"#SaferMotherHoodDay कहीं आधी रात को गूँज उठी किलकारी, और आँखों से बह गई अश्रुधारा; उन आँसुओं में भरा था मातृप्रेम, उस स्नेह से उत्पन्न हुआ एक शिशु प्यारा। वो अब भूख को अपनाना सीखेगी, उस शिशु के लिए तो यही ज़रूरी है; कहीं जल ना उठे उस बच्चे की आत्मा, इसलिए उस माँ का तपना ज़रूरी है। वो बच्चा अब चलना चाहता है, सो माँ ने उसके पैरों तले फूल दिए; वो जिस पथ पर पग बढ़ाता है, माँ ने उस पथ के सभी शूल लिए। उसने परिपक्वता की पराकाष्ठा देख ली अब, वो खुश है, भले ही स्वप्नहीन सही; वो बच्चा अब युवक हो चला है, माँ तो उसी के सपनों में लीन सही। अभी उस माँ का कार्य बाकी है, अपनी कोख को मजबूत बनाना है; वो युवक चला जब संसार बसाने, तब ये सूर्य चंद्रमा उसके इंतज़ार में बिताना है। युवक लौटा तो खिलखिलाया हुआ था, आखिर अपने ख्वाबों को सच कर लौटा है; उस माँ को देखकर हैरान रह गया, जिस देवी का वो बेटा है। वो कोमल हर्षित देह, जिसे वो जानता था, वो शरीर अब शाम में ढलने को है; उसकी आत्मा मुस्काती है, (अपने बच्चे को देखकर) और अब वो देह सामने जलने को है। उस शक्ति का कार्य संपन्न हुआ, जिसने त्याग में बिताया जीवन सारा; वो बच्चा जब रखता है उसे अग्नि के गर्भ में, तब उसके आँखों से बह गई, "अश्रुधारा"। ©Deepanshu "

#SaferMotherHoodDay कहीं आधी रात को गूँज उठी किलकारी, और आँखों से बह गई अश्रुधारा; उन आँसुओं में भरा था मातृप्रेम, उस स्नेह से उत्पन्न हुआ एक शिशु प्यारा। वो अब भूख को अपनाना सीखेगी, उस शिशु के लिए तो यही ज़रूरी है; कहीं जल ना उठे उस बच्चे की आत्मा, इसलिए उस माँ का तपना ज़रूरी है। वो बच्चा अब चलना चाहता है, सो माँ ने उसके पैरों तले फूल दिए; वो जिस पथ पर पग बढ़ाता है, माँ ने उस पथ के सभी शूल लिए। उसने परिपक्वता की पराकाष्ठा देख ली अब, वो खुश है, भले ही स्वप्नहीन सही; वो बच्चा अब युवक हो चला है, माँ तो उसी के सपनों में लीन सही। अभी उस माँ का कार्य बाकी है, अपनी कोख को मजबूत बनाना है; वो युवक चला जब संसार बसाने, तब ये सूर्य चंद्रमा उसके इंतज़ार में बिताना है। युवक लौटा तो खिलखिलाया हुआ था, आखिर अपने ख्वाबों को सच कर लौटा है; उस माँ को देखकर हैरान रह गया, जिस देवी का वो बेटा है। वो कोमल हर्षित देह, जिसे वो जानता था, वो शरीर अब शाम में ढलने को है; उसकी आत्मा मुस्काती है, (अपने बच्चे को देखकर) और अब वो देह सामने जलने को है। उस शक्ति का कार्य संपन्न हुआ, जिसने त्याग में बिताया जीवन सारा; वो बच्चा जब रखता है उसे अग्नि के गर्भ में, तब उसके आँखों से बह गई, "अश्रुधारा"। ©Deepanshu

#alone #life #lifequotes #lifelessons #lifequote #lovelife #poem #Mother #motherlove

People who shared love close

More like this

Trending Topic