जीने की ख़्वाहिश न रही अब... (Read in Caption) जीने

"जीने की ख़्वाहिश न रही अब... (Read in Caption)"

 जीने की ख़्वाहिश न रही अब...
(Read in Caption)

जीने की ख़्वाहिश न रही अब... (Read in Caption)

जीने की ख़्वाहिश न रही अब, अब तो बस मरने का बहाना ढूढ़ता हूँ
कहीं पड़े मिल जाएं चंद टुकड़े खुशियों के ऐसा ठिकाना ढूढ़ता हूँ
जीने की ख़्वाहिश न रही अब, अब तो बस मरने का बहाना ढूढ़ता हूँ

कभी बारिस के पानी में चला करते थे हमारे जहाज
आज बारिस तो बहुत है पर वो गुजरा हुआ जमाना ढूढ़ता हूँ
जीने की ख़्वाहिश न रही अब, अब तो बस मरने का बहाना ढूढ़ता हूँ

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