जीने की ख़्वाहिश न रही अब, अब तो बस मरने का बहाना ढूढ़ता हूँ
कहीं पड़े मिल जाएं चंद टुकड़े खुशियों के ऐसा ठिकाना ढूढ़ता हूँ
जीने की ख़्वाहिश न रही अब, अब तो बस मरने का बहाना ढूढ़ता हूँ
कभी बारिस के पानी में चला करते थे हमारे जहाज
आज बारिस तो बहुत है पर वो गुजरा हुआ जमाना ढूढ़ता हूँ
जीने की ख़्वाहिश न रही अब, अब तो बस मरने का बहाना ढूढ़ता हूँ
2 Love
Valley of emotions न जाने किस गुनाह की सजा पा रहा हूँ
(Read in Caption)
हर पल घुट घुट कर जिये जा रहा हूँ
न जाने किस गुनाह की सजा पा रहा हूँ।
याद है मुझे न किया गलत किसी के साथ
न दुःखया दिल किसी का
फिर भी दिल से रोता जा रहा हूँ
न जाने किस गुनाह की सजा पा रहा हूँ।
जिंदगी की राहें है बड़ी कठिन
चलता हूँ कदम फूंक फूंक कर
13 Love
माँ का आँचल माँ का आँचल भी किसी जन्नत से कम न था
माँ के फटे आँचल से लिपट कर खूब सोया करता था
आज मखमली चादरों में भी सारी रात जागता हूँ।
तू नारी है, हाँ तू नारी है
तू ही जग से न्यारी है
तू कमजोर है
ये तेरी सोच है
तू बेटी, बहन, माँ का रूप है
तू ही काली, जगदम्बा का स्वरूप है
तेरी जग से प्यारी सूरत है
तू ही विकराल रूप की मूरत है
डर मत, तू अपनी शक्ति को याद कर
अपना सर उठा, नज़रे मिला
फिर नज़रों से वार कर
दुश्मनों का संहार कर
माँ..... माँ कितनी महान होती है
नौ महीने कोख में अपनी बच्चे को पाल लेती है
घना दर्द सहती है फिर भी खुश रहती है
माँ..... माँ कितनी महान होती है
पल पल हर पल नये सपने सजोती है
बड़ी आशों के साथ बच्चे को जन्म देती है
माँ..... माँ कितनी महान होती है
बच्चा जब दुनियाँ में आता है
आँखें खोलने से पहले गहरी नींद में सो जाता है
मानो माँ पर दुखों का पहाड़ सा टूट जाता है
सपनो औ आशों का दरिया बह जाता है
पल पल रोती है पर कुछ न कहती है
माँ..... माँ कितनी महान होती है
Continue with Social Accounts
Facebook Googleor already have account Login Here