माँ का आँचल माँ का आँचल भी किसी जन्नत से कम न था म | हिंदी Shayari

"माँ का आँचल माँ का आँचल भी किसी जन्नत से कम न था माँ के फटे आँचल से लिपट कर खूब सोया करता था आज मखमली चादरों में भी सारी रात जागता हूँ।"

 माँ का आँचल माँ का आँचल भी किसी जन्नत से कम न था
माँ के फटे आँचल से लिपट कर खूब सोया करता था
आज मखमली चादरों में भी सारी रात जागता हूँ।

माँ का आँचल माँ का आँचल भी किसी जन्नत से कम न था माँ के फटे आँचल से लिपट कर खूब सोया करता था आज मखमली चादरों में भी सारी रात जागता हूँ।

#maa

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