White दिल्लगी दिल की लगी, कब बन गयी मत पूछिए।
नस-नस में मेरे बस गयी, तेरे इश्क की परछाइयाँ।
बरसों तलक जिन ख्वाबों में, तुझको बसाया हमनशीं।
बिन कुछ कहे तुम खो गए, ये हैं इश्क की रुसवाइयाँ।
हर शाम गुज़रती है मेरी, छूकर के तेरी यादें जब।
अब क्या कहूँ दिल चाक है, चुभती हैं ये तन्हाइयाँ।
जाना ही था बिन कुछ कहे, तुम यूँ किनारा कर गए।
इक पल में ही तुम कर गये, मेरी साँसों की नीलामियाँ।
वो जिनको करते हैं , सुबह-शाम याद हम।
क्या उनको भी कभी , मेरी याद सताती होगी।
कभी किया न जिनसे हमने , शिकवा किसी बात का।
क्या उनकी "आँखों" में मेरी "मुहब्बत" झिलमिलाती होगी।
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©Neel
इश्क की परछाइयां 🍁