वे जब खेतों में फ़सलों को रोपती-काटती हुई गाती है | हिंदी Poetry Video

"वे जब खेतों में फ़सलों को रोपती-काटती हुई गाती हैं गीत भूल जाती हैं ज़िंदगी के दर्द ऐसा कहा गया है किसने कहे हैं उनके परिचय में इतने बड़े-बड़े झूठ? किसने? निश्चय ही वह हमारी जमात का खाया-पीया आदमी होगा... सच्चाई को धुँध में लपेटता एक निर्लज्ज सौदागर ज़रूर वह शब्दों से धोखा करता हुआ कोई कवि होगा मस्तिष्क से अपाहिज! #आदिवासी_लड़कियां #निर्मला_पुतुल ©river_of_thoughts "

वे जब खेतों में फ़सलों को रोपती-काटती हुई गाती हैं गीत भूल जाती हैं ज़िंदगी के दर्द ऐसा कहा गया है किसने कहे हैं उनके परिचय में इतने बड़े-बड़े झूठ? किसने? निश्चय ही वह हमारी जमात का खाया-पीया आदमी होगा... सच्चाई को धुँध में लपेटता एक निर्लज्ज सौदागर ज़रूर वह शब्दों से धोखा करता हुआ कोई कवि होगा मस्तिष्क से अपाहिज! #आदिवासी_लड़कियां #निर्मला_पुतुल ©river_of_thoughts

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