हां माना... कि नहीं जानते होगे...!!
पता है क्यूं......??
क्यूंकि, मैंने कभी बताना ही नहीं चाहा,
अपने दर्द, अपने आंसू, अपनी उलझनों को..
कभी तुझे जताना ही नहीं चाहा.....
जानते हो क्यूं.......??
शायद नहीं......
क्यूंकि जानना और समझना.....
दोनों के बीच एक महीन सी रेखा है,
तो क्या तुम समझ पाते...कुछ भी...
जो मैं कहती, अक्षरशः ...
बिना कोई धारणा बनाए...
सिर्फ और सिर्फ मुझको...
मेरी तरह.... जैसी मैं हूं....।।
🍁🍁🍁
©Neel
मैंने बताना नहीं चाहा 🍁