तेरी हर बात को अपने, सरआँखों पर तो रखती हूं,
फिर भी रूठे ही रहते हो, क्यूं न तुम बात करते हो..?
बहुत बेदर्द हो तुम, जान से जाऊं तो मैं जाऊं,
जताकर प्रेम को अपने, क्यूं न फरियाद करते हो..?
फलसफा प्रेम का तुमको, समझ आता नहीं शायद,
मुकर जाते हो नज़रों से, न हमको याद करते हो..!
सुबह से शाम हो जाती है, तकते राह जब तेरी,
ठहर जाती हैं तुझ पर ही, नजरें आबाद करते हो।।
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©Neel
न हमको याद करते हो🍁