फ़क़ीरी हो या अमीरी सदा ही मौज लेते हैं, मुकर्रर दिन | हिंदी Shayari

"फ़क़ीरी हो या अमीरी सदा ही मौज लेते हैं, मुकर्रर दिन नहीं कोई मुसलसल रोज लेते हैं, काम जिनका निकल गया मुड़कर देखते नहीं, जिनको ग़रज़ होती है वो मुझको खोज लेते हैं। कृष्ण गोपाल सोलंकी ©Krishan Gopal Solanki"

 फ़क़ीरी हो या अमीरी सदा ही मौज लेते हैं,
मुकर्रर दिन नहीं कोई मुसलसल रोज लेते हैं,
काम जिनका निकल गया मुड़कर देखते नहीं,
जिनको ग़रज़ होती है वो मुझको खोज लेते हैं।

कृष्ण गोपाल सोलंकी

©Krishan Gopal Solanki

फ़क़ीरी हो या अमीरी सदा ही मौज लेते हैं, मुकर्रर दिन नहीं कोई मुसलसल रोज लेते हैं, काम जिनका निकल गया मुड़कर देखते नहीं, जिनको ग़रज़ होती है वो मुझको खोज लेते हैं। कृष्ण गोपाल सोलंकी ©Krishan Gopal Solanki

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