Krishan Gopal Solanki

Krishan Gopal Solanki Lives in New Delhi, Delhi, India

कवि एवं मंच संचालक ......

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White अपने बूते से बाहर की बात पूछता है इक जुगनू सूरज से औकात पूछता है। ©Krishan Gopal Solanki

#shyari #Night  White अपने बूते से बाहर की बात पूछता है
इक जुगनू  सूरज से औकात पूछता है।

©Krishan Gopal Solanki

#Night #shyari #Love

13 Love

कोई लैला कोई राँझा कोई हीर लिखता है, कोई टूटे हुए दिल की यहाँ पर पीर लिखता है, लांघकर मुश्किलें ,मेहनत जो करता है ज़माने में, वही इंसान अपने हाथ से तक़दीर लिखता है। ©Krishan Gopal Solanki

#Distant  कोई लैला कोई राँझा कोई हीर लिखता है,
कोई टूटे हुए दिल की यहाँ पर पीर लिखता है,
लांघकर मुश्किलें ,मेहनत जो करता है ज़माने में,
वही इंसान अपने हाथ से तक़दीर लिखता है।

©Krishan Gopal Solanki

#Distant

11 Love

फ़क़ीरी हो या अमीरी सदा ही मौज लेते हैं, मुकर्रर दिन नहीं कोई मुसलसल रोज लेते हैं, काम जिनका निकल गया मुड़कर देखते नहीं, जिनको ग़रज़ होती है वो मुझको खोज लेते हैं। कृष्ण गोपाल सोलंकी ©Krishan Gopal Solanki

#alone  फ़क़ीरी हो या अमीरी सदा ही मौज लेते हैं,
मुकर्रर दिन नहीं कोई मुसलसल रोज लेते हैं,
काम जिनका निकल गया मुड़कर देखते नहीं,
जिनको ग़रज़ होती है वो मुझको खोज लेते हैं।

कृष्ण गोपाल सोलंकी

©Krishan Gopal Solanki

#alone

13 Love

धैर्य धार कर दुख में सुख की आस में काटे, कोई धृतराष्ट्र बनकर स्वयं कुल के नाश में काटे, जनक ने भी सिया के वास्ते राजा ही देखा था, वक़्त देखो कि चौदह वर्ष वनवास में काटे। कृष्ण गोपाल सोलंकी ©Krishan Gopal Solanki

#onenight  धैर्य धार कर दुख में सुख की आस में काटे,
कोई धृतराष्ट्र बनकर स्वयं कुल के नाश में काटे,
जनक ने भी सिया के वास्ते राजा ही देखा था,
वक़्त देखो कि चौदह वर्ष वनवास में काटे।

कृष्ण गोपाल सोलंकी

©Krishan Gopal Solanki

#onenight

13 Love

इंसानियत के फ़र्ज़ से मुकर जाते हैं, लोग हादसा देखकर चुपचाप गुज़र जाते हैं। ©Krishan Gopal Solanki

#Broken  इंसानियत के फ़र्ज़ से मुकर जाते हैं,
लोग हादसा देखकर चुपचाप गुज़र जाते हैं।

©Krishan Gopal Solanki

#Broken

12 Love

कमी है संस्कारों की या घर के निज़ाम की, नई पीढ़ी की हसरत है शोहरत और नाम की, कमाते हैं जो मेहनत से अदब से पेश आते हैं, कदाचार सिखा देती है ये दौलत हराम की। निज़ाम - प्रबंध कदाचार -बुरा व्यवहार ©Krishan Gopal Solanki

#Light  कमी है संस्कारों की या घर के निज़ाम की,
नई पीढ़ी की हसरत है शोहरत और नाम की,
कमाते हैं जो मेहनत से अदब से पेश आते हैं,
कदाचार सिखा देती है ये दौलत हराम की।
         
          
निज़ाम  - प्रबंध
कदाचार -बुरा व्यवहार

©Krishan Gopal Solanki

#Light

9 Love

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