धैर्य धार कर दुख में सुख की आस में काटे, कोई धृतरा | हिंदी Shayari

"धैर्य धार कर दुख में सुख की आस में काटे, कोई धृतराष्ट्र बनकर स्वयं कुल के नाश में काटे, जनक ने भी सिया के वास्ते राजा ही देखा था, वक़्त देखो कि चौदह वर्ष वनवास में काटे। कृष्ण गोपाल सोलंकी ©Krishan Gopal Solanki"

 धैर्य धार कर दुख में सुख की आस में काटे,
कोई धृतराष्ट्र बनकर स्वयं कुल के नाश में काटे,
जनक ने भी सिया के वास्ते राजा ही देखा था,
वक़्त देखो कि चौदह वर्ष वनवास में काटे।

कृष्ण गोपाल सोलंकी

©Krishan Gopal Solanki

धैर्य धार कर दुख में सुख की आस में काटे, कोई धृतराष्ट्र बनकर स्वयं कुल के नाश में काटे, जनक ने भी सिया के वास्ते राजा ही देखा था, वक़्त देखो कि चौदह वर्ष वनवास में काटे। कृष्ण गोपाल सोलंकी ©Krishan Gopal Solanki

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