कमी है संस्कारों की या घर के निज़ाम की, नई पीढ़ी की | हिंदी Shayari

"कमी है संस्कारों की या घर के निज़ाम की, नई पीढ़ी की हसरत है शोहरत और नाम की, कमाते हैं जो मेहनत से अदब से पेश आते हैं, कदाचार सिखा देती है ये दौलत हराम की। निज़ाम - प्रबंध कदाचार -बुरा व्यवहार ©Krishan Gopal Solanki"

 कमी है संस्कारों की या घर के निज़ाम की,
नई पीढ़ी की हसरत है शोहरत और नाम की,
कमाते हैं जो मेहनत से अदब से पेश आते हैं,
कदाचार सिखा देती है ये दौलत हराम की।
         
          
निज़ाम  - प्रबंध
कदाचार -बुरा व्यवहार

©Krishan Gopal Solanki

कमी है संस्कारों की या घर के निज़ाम की, नई पीढ़ी की हसरत है शोहरत और नाम की, कमाते हैं जो मेहनत से अदब से पेश आते हैं, कदाचार सिखा देती है ये दौलत हराम की। निज़ाम - प्रबंध कदाचार -बुरा व्यवहार ©Krishan Gopal Solanki

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