White मन की परछाई में,
एहसास जम चुका हैं,
कोई न पूछें,
कि वह इसमें क्यों छिपा है,
न पंख, न पांव,
न हलचल, न ठहराव,
न शोर, न सन्नाटा,
जो हर क्षण साथ है,
वो यह एहसास हैं,
दूरियां जैसे ,
क्षितिज के आर-पार ,
यह एहसास ही हैं,
जो जन्नत से भी लौट बार-बार ।
©Bhanu Priya
#love_shayari