White सहमा सहमा डरा सा रहता है
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है
तुम आओ कभी होंठों पर
एक मीठी मुस्कान बन कर
दिल इसी याद में जरा ठहरा सा रहता है
जो लिखू कभी कहानी अपनी
बस तुम उसे पढ़ लेना
ये मन एक उम्मीद लिए सा रहता है
कभी आँखो मे उतर आना छुपके से
आँखो के कोरो से आंसू बनकर
कभी थम जाना गुबार बनकर
मन कुछ व्याकुल सा रहता है
ये धूप भी कुछ सावन सावन सा लगता है
पतझड़ भी मुझे आज भादव सा लगता है
कभी ढलते सूरज के समय लोट आना
कोई एहसास बन के
आज मन सहमा सहमा डर सा रहता है
जाने क्यूँ जी भरा सा रहता है
©sadhna jayaswal
सहमा सहमा डरा सा रहता है