माल बहुत सा तुमने लूटा और पचाया भाई जी।
चोखा तुमने खुद का ही ईमान बताया भाई जी।।
लूटा तुमने और पचाया कहते माल बताओ जी।
कान पकड़ कर पड़ी चपत तो रोना खूब मचाओ जी।।
नहीं बचेगा जो भी खाया तेरा भी ले जायेगा।
जनता अब सब जान चुकी है मूरख किसे बनायेगा।।
मेरी उसकी मत मानो जी अपनी खीर पकाओ जी।
खुद की सोचो देश बचेगा गद्दारी मत पाओ जी।।
भारत भूषण झा "भरत"
©Bharat Bhushan Jha Bharat
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