Bharat Bhushan Jha Bharat

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#जीवनदर्शन  Beautiful Moon Night प्रकृति की ताल से ताल मिला।
जब तेरे हो साथ प्रकृति ही
जीवन लाल खिला।
जीवन की जब पूर्ण हो मात्रा
जीव से ताल मिला।।
प्रकृति की ताल से ताल मिला।।
सभी शक्ति का है भंडारण
शक्ति से चाल मिला।
अन्दर तेरे छुपा हुआ जो
उससे भाल मिला।।
प्रकृति की ताल से ताल मिला।।

भारत भूषण झा "भरत"

©Bharat Bhushan Jha Bharat

#जीवनदर्शन दर्शन

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#मेरादेश #कविता #oddone  माल बहुत सा तुमने लूटा और पचाया भाई जी।
चोखा तुमने खुद का ही ईमान बताया भाई जी।।
लूटा तुमने और पचाया कहते माल बताओ जी।
कान पकड़ कर पड़ी चपत तो रोना खूब मचाओ जी।।
नहीं बचेगा जो भी खाया तेरा भी ले जायेगा।
जनता अब सब जान चुकी है मूरख किसे बनायेगा।।
मेरी उसकी मत मानो जी अपनी खीर पकाओ जी।
खुद की सोचो देश बचेगा गद्दारी मत पाओ जी।।
भारत भूषण झा "भरत"

©Bharat Bhushan Jha Bharat

सोंधी मिट्टी की खुशबू का,कब से नाता टूट गया। जब से साझे का चूला जी,चौराहे पर फूट गया। छूट गये रिश्ते जब से ही,वो ही खूब निभाते थे- अपनों ने अपनों को लूटा,नेह सभी का लूट गया।। भारत भूषण झा 'भरत' ©Bharat Bhushan Jha Bharat

#कविता #humantouch  सोंधी मिट्टी की खुशबू का,कब से नाता टूट गया।
जब से साझे का चूला जी,चौराहे पर फूट गया।
छूट गये रिश्ते जब से ही,वो ही खूब निभाते थे-
अपनों ने अपनों को लूटा,नेह सभी का लूट गया।।

भारत भूषण झा 'भरत'

©Bharat Bhushan Jha Bharat

सोच सदा अच्छी रखो, अच्छा ही हो धाम। नेक नीयत लेकर चलो, वही बनाबे काम।। ©Bharat Bhushan Jha Bharat

#कविता #humantouch  सोच सदा अच्छी रखो,
अच्छा ही हो धाम।
नेक नीयत लेकर चलो,
वही बनाबे काम।।

©Bharat Bhushan Jha Bharat

शुभ हो तुमको,शुभ हो सबको,शुभ हो सारे ही जहाँ को। गीत गाऊँ, प्रीत पाऊँ, नव बरष नव गीत लाऊँ।। शुभ हो सबको नव बरष शुभकामनायें। हर तरफ से खुशियों के बरदान आयें। सब की ही हों कामनायें सब ही पूरी- अब से आगे झूम के ही गीत गायें।। शुभ हो तुमको,शुभ हो सबको,शुभ हो सारे ही जहाँ को। गीत गाऊँ, प्रीत पाऊँ, नव बरष नव गीत लाऊँ।। ©Bharat Bhushan Jha Bharat

#कविता #HappyNewYear  शुभ हो तुमको,शुभ हो सबको,शुभ हो सारे ही जहाँ को।
गीत गाऊँ, प्रीत पाऊँ, नव बरष नव गीत लाऊँ।।
शुभ हो सबको नव बरष शुभकामनायें।
हर तरफ से खुशियों के बरदान आयें।
सब की ही  हों कामनायें सब ही पूरी-
अब से आगे झूम के ही गीत गायें।।
शुभ हो तुमको,शुभ हो सबको,शुभ हो सारे ही जहाँ को।
गीत गाऊँ, प्रीत पाऊँ, नव बरष नव गीत लाऊँ।।

©Bharat Bhushan Jha Bharat

दस-दस दिन का खेल बना है,बाप यहाँ परिवर्तन में। ऐसा प्यार दिखाते हैं जी,घाव बने हैं गर्दन में।। जब जाती है मम्मा ऊपर,भाव यही हो जाते हैं। आज बना फुटबाल पिता है,पुत्र भाव खो जाते हैं।। ऐसे बैसे जाने कैसे,जीवन जीना होता है। रही जिंदगी साथ न उसके,सारे सुख ही खोता है।। आधा अंग चला जब जाता,बाकी का क्या होगा जी। आधा जीता आधा मरता,दुखता फोड़ा भोगा जी।। जो तानी ऊँची दीवारें,आज गिरी सी लगती हैं। जहाँ नाचती रहती खुशियाँ,आज काटने भगती हैं।। भाव लुटाये सब कुछ बाँटा,आज बंटा अधिकार में। जो बाँटा था नहीं मिल रहा,कहीं कमी थी प्यार में।। सब कुछ सब कुछ था उनका जी,आगे भी होगा भाई। जाने से पहले ही उसने,क्यूँ हमसे मुक्ती पाई।। चलो मान लो परिवर्तन को,तो ही सुख मिल पायेगा। रहो अकेले चलो अकेले,परिवर्तन ना खायेगा।। ©Bharat Bhushan Jha Bharat

#कविता #Dark  दस-दस दिन का खेल बना है,बाप यहाँ परिवर्तन में।
ऐसा प्यार दिखाते हैं जी,घाव बने हैं गर्दन में।।
जब जाती है मम्मा ऊपर,भाव यही हो जाते हैं।
आज बना फुटबाल पिता है,पुत्र भाव खो जाते हैं।।
ऐसे बैसे जाने कैसे,जीवन जीना होता है।
रही जिंदगी साथ न उसके,सारे सुख ही खोता है।।
आधा अंग चला जब जाता,बाकी का क्या होगा जी।
आधा जीता आधा मरता,दुखता फोड़ा भोगा जी।।
जो तानी ऊँची दीवारें,आज गिरी सी लगती हैं।
जहाँ नाचती रहती खुशियाँ,आज काटने भगती हैं।।
भाव लुटाये सब कुछ बाँटा,आज बंटा अधिकार में।
जो बाँटा था नहीं मिल रहा,कहीं कमी थी प्यार में।।
सब कुछ सब कुछ था उनका जी,आगे भी होगा भाई।
जाने से पहले ही उसने,क्यूँ हमसे मुक्ती पाई।।
चलो मान लो परिवर्तन को,तो ही सुख मिल पायेगा।
रहो अकेले चलो अकेले,परिवर्तन ना खायेगा।।

©Bharat Bhushan Jha Bharat

#Dark

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