Black क्षणिक सुख
टपके आंसू
छलकी बूंदे यूं मोती बन
वह तो वही जाने
कैसे बिसरे थे
उन्होंने वे दिन तुम्हारे बिन
आंसू तो लाज़मी थे
बहुत रोका लेकिन वे
तो वह ही रहे थे
खुशी से चहक रहे थे
कहां वह स्थाई थी
वह तो मिटने से पहले ही
मिट कर आई थी
फिर भी
दो शब्द कहे
दो शब्द सुने
क्षणिक सुख बरसाया था
कहां वह उस प्रेम के आगे
टिक पाया था
वो यादगार लम्हा उस दिन आया था
किसी ने बुलाया नहीं
वह तो स्वयं हमसे मिलने आया था ।
©Bhanu Priya
#Thinking क्षणिक सुख
टपके आंसू
छलकी बूंदे यूं मोती बन
वह तो वही जाने
कैसे बिसरे थे
उन्होंने वे दिन तुम्हारे बिन
आंसू तो लाज़मी थे