रास्ता सुनसान जैसा, युद्ध के मैदान जैसा, वे | हिंदी कविता

"रास्ता सुनसान जैसा, युद्ध के मैदान जैसा, वेदना करती कवायद, वक़्त इम्तिहान जैसा, कामना की चाह में दिल, जल रहा लोबान जैसा, ख़्वाहिशों की मटरगश्ती, बदलते ईमान जैसा, करूँ निगरानी कृषक सा, खेत में मचान जैसा, मिले पलभर का सुकूँ भी, गाँव के दालान जैसा, मीत ऐसा मिला 'गुंजन', गीत के उन्वान जैसा, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra"

 रास्ता  सुनसान  जैसा, 
युद्ध  के  मैदान  जैसा,

वेदना  करती  कवायद, 
वक़्त  इम्तिहान  जैसा,

कामना की चाह में दिल, 
जल रहा लोबान जैसा,

ख़्वाहिशों की मटरगश्ती, 
बदलते    ईमान    जैसा,

करूँ निगरानी कृषक सा, 
खेत   में    मचान   जैसा,

मिले पलभर का सुकूँ भी,
गाँव   के   दालान  जैसा,

मीत  ऐसा  मिला 'गुंजन', 
गीत   के  उन्वान   जैसा,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
     समस्तीपुर बिहार

©Shashi Bhushan Mishra

रास्ता सुनसान जैसा, युद्ध के मैदान जैसा, वेदना करती कवायद, वक़्त इम्तिहान जैसा, कामना की चाह में दिल, जल रहा लोबान जैसा, ख़्वाहिशों की मटरगश्ती, बदलते ईमान जैसा, करूँ निगरानी कृषक सा, खेत में मचान जैसा, मिले पलभर का सुकूँ भी, गाँव के दालान जैसा, मीत ऐसा मिला 'गुंजन', गीत के उन्वान जैसा, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' समस्तीपुर बिहार ©Shashi Bhushan Mishra

#गीत के उन्वान जैसा#

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