सूर्यग्रहण
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प्रकृति कितनी निराली है
आज सूर्यग्रहण की बारी है
ताप पर शीतलता भरी है
चांद के सामने आने से
शीतलता के छाने से
दर्द ताप को होता है
उसका अस्तित्व कहीं खोता है
सोचो अगर सूर्य न हो जीवन कैसे चल पाएगा
कैसे होगा सबेरा
कैसे पंछी उड़ पाएगा
इंसान भी आपस ऐसे ही टकराता है
मैं श्रेष्ठ हूं ये सोच कर दूसरों को मिटाता है
सूर्य देव ताप का तेज और बढ़ा दो तुम
शीतलता के दर्द को नर्म और बना दो तुम
फिर नया सबेरा ला दो तुम
जीवन उच्च बना दो तुम ।।
©Pooja Mishra
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