कुछ ना होने के बाद भी हम गर्व से अपने आप को माता पिता परमात्मा कहते है,क्यों?केवल इच्छा मरने से?बच्चों ने परिवारों ने भी कईं इच्छा सपने मारे है।घर में आपसी-समझ प्रेम आदर सम्मान अपनेपन, त्याग का संचार करों।किसी पर हुक्म चलाना कम आँकना, खुद को ही महान मानकर दूसरो का अपमान करना "अपने होने के" लक्षण/गुण नहीं है।🙏
अगर जमाना बदला है तो हमें अपने घरों के वातावरण में भी बदलाव लाना होगा, हमारे अपने हमसे अपने मन की बात कह सके हम खुद उनसे कह सके फिर क्यों कोई तनाव में रहेगा, क्यों किसी को रिश्ते में घुटन