किसी के इंतेजार में हम किसी के ना हुए, ना मंजिल मि | हिंदी शायरी

"किसी के इंतेजार में हम किसी के ना हुए, ना मंजिल मिली, न सफर के हुए। ना, जुगनू मिले न दिए जले, रोशनी की तरफ भागते हुए अंधेरों के भी न रहे। वापसी की कोशिश की हमने कई दफा, ना आगाज हुआ न अंत के रहे। ©Sachin Pathak"

 किसी के इंतेजार में हम किसी के ना हुए,
ना मंजिल मिली, न सफर के हुए।

ना, जुगनू मिले न दिए जले,
रोशनी की तरफ भागते हुए अंधेरों के भी न रहे।

वापसी की कोशिश की हमने कई दफा,
ना आगाज हुआ न अंत के रहे।

©Sachin Pathak

किसी के इंतेजार में हम किसी के ना हुए, ना मंजिल मिली, न सफर के हुए। ना, जुगनू मिले न दिए जले, रोशनी की तरफ भागते हुए अंधेरों के भी न रहे। वापसी की कोशिश की हमने कई दफा, ना आगाज हुआ न अंत के रहे। ©Sachin Pathak

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