Sachin Pathak

Sachin Pathak Lives in Mumbai, Maharashtra, India

बस शब्दों से यारी है, कभी किसी क्रम में आ जाएँ तो कोई कविता बन जाते हैं, कभी कोई कहानी कह जाते हैं। insta : pathak_numa

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किसी के इंतेजार में हम किसी के ना हुए, ना मंजिल मिली, न सफर के हुए। ना, जुगनू मिले न दिए जले, रोशनी की तरफ भागते हुए अंधेरों के भी न रहे। वापसी की कोशिश की हमने कई दफा, ना आगाज हुआ न अंत के रहे। ©Sachin Pathak

#शायरी #PhisaltaSamay  किसी के इंतेजार में हम किसी के ना हुए,
ना मंजिल मिली, न सफर के हुए।

ना, जुगनू मिले न दिए जले,
रोशनी की तरफ भागते हुए अंधेरों के भी न रहे।

वापसी की कोशिश की हमने कई दफा,
ना आगाज हुआ न अंत के रहे।

©Sachin Pathak

तू किसी शाम सी ढलने लगी, किसी जाम सी उतरने लगी, चाहा तुझे जब लगाना गले, तू लकीरों से मिटने लगी। ख़ाब देखे थे कई, सपने सजाये कई, आँख लगी जब भी, हुए थे करीब तेरे जरा सा, तो न जाने क्यों भोर हो गयी। माँगा ज्यादा न था कुछ , बस साथ तेरा तू रेत की लकीर हो गई, आंधी यूँ तो न थी, एक झोखा ही था बस, तू काजल की तरह मिट गई। ©Sachin Pathak

#शायरी #GateLight  तू किसी शाम सी ढलने लगी,
किसी जाम सी उतरने लगी,
चाहा तुझे जब लगाना गले,
तू लकीरों से मिटने लगी।

ख़ाब देखे थे कई,
सपने सजाये कई,
आँख लगी जब भी,
हुए थे करीब तेरे जरा सा,
तो न जाने क्यों भोर हो गयी।

माँगा ज्यादा न था कुछ ,
 बस साथ तेरा
तू रेत की लकीर हो गई,
आंधी यूँ तो न थी,
एक झोखा ही था बस,
तू काजल की तरह मिट गई।

©Sachin Pathak

#GateLight

12 Love

मुद्दतें गुजरी मगर मुझे वो जमाना याद है, मुझे तेरे दुपट्टे का लहराना, तेरे झुमके का इठलाना याद है, मुद्दतें गुजरी मगर हर दफा पहली बार की तरह तुझसे मिलना और , फिर अलविदा कहने का फ़साना मुझे याद है, भूल जाना , हाल खुद का तेरी परवाह में ज़माने में आशिक़ कहलाना याद है, मेरी व्व ख्वाहिश तुझे , पैज पहनाने कि, और तेरा किया मेरी ख्वाहिश को पूरा करने का वादा मुझे याद है, बेशक ज़माने को गुजरे जमाना हुआ, मगर वो रंगीन अफ़साना मुझे याद है। ©Sachin Pathak

#शायरी #delicate  मुद्दतें गुजरी मगर मुझे वो जमाना याद है,
मुझे तेरे दुपट्टे का लहराना,
तेरे झुमके का इठलाना याद है,

मुद्दतें गुजरी मगर हर दफा 
पहली बार की तरह तुझसे मिलना
और , फिर अलविदा कहने का
फ़साना मुझे याद है,
 
भूल जाना , हाल खुद का 
तेरी परवाह में ज़माने में 
आशिक़ कहलाना याद है,
 
मेरी व्व ख्वाहिश तुझे ,
पैज पहनाने कि, और
तेरा किया मेरी ख्वाहिश को पूरा करने का
वादा मुझे याद है,
   
बेशक ज़माने को गुजरे जमाना हुआ,
मगर वो रंगीन अफ़साना मुझे याद है।

©Sachin Pathak

#delicate

14 Love

#शायरी  सफर में बस यही इक कमी रही,
क़ि चलने का सबब न मिला।

मंजिल तो खैर मिली कहीं
पर तुझ से हमसफ़र ना मिला।

©Sachin Pathak

सफर में बस यही इक कमी रही, क़ि चलने का सबब न मिला। मंजिल तो खैर मिली कहीं पर तुझ से हमसफ़र ना मिला। ©Sachin Pathak

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हाल ए दिल का अंदाजा लगाते हो तुम, चेहरे के भाव देख कर, मेरे खैर ख्वाह। अब कौन बताये तुमको हमने भी सीख लिया है ओढ़ना मुखौटा मुश्कुराहटों का। ©Sachin Pathak

#शायरी #Drown  हाल ए दिल का अंदाजा लगाते हो तुम,
चेहरे के भाव देख कर, मेरे खैर ख्वाह।

अब कौन बताये तुमको हमने भी सीख लिया है
ओढ़ना मुखौटा मुश्कुराहटों का।

©Sachin Pathak

#Drown

1 Love

अये मेरे हरीफ तुम भी किसी के काम के नही, हमने अपनी ही गली में मोहब्बत की। तुमने कोई बवाल तक न किया, करते , तो शायद जिससे की, उसे मालूम तो होता। ©Sachin Pathak

#शायरी #philosophy  अये मेरे हरीफ तुम भी किसी के काम के नही,
हमने अपनी ही गली में मोहब्बत की।
तुमने कोई बवाल तक न किया,
करते , तो शायद जिससे की, उसे मालूम तो होता।

©Sachin Pathak

#philosophy

11 Love

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