मुझे पता है रात का ढल जाना तय है। सुबह का आना तय | हिंदी कविता Video

"मुझे पता है रात का ढल जाना तय है। सुबह का आना तय है। उलझन, परेशानी, थोड़ी सी बेचैनी थोड़ी सी हैरानी, डर कुछ खोने का, शुन्य सी ये जो दशा है। बस कुछ पल का है, बस कुछ पल का है।। शून्य मे एक और एक मे अनेक शुन्य जुड़ जाना तय है। हवा अभी खुद के विरुद्ध है तो क्या एक दिन इसका सुर मे ताल मिलाना तय है।। इन चुनौतियों का हार जाना तय है। मुझे पता है, शायद आज नही, कल नही हो सकता है परसो भी नही,, लेकिन एक ना एक दिन मेरा जीत जाना तय है।। पतझड़ का जाना तय है। वसंत का आना तय है।। ©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla "

मुझे पता है रात का ढल जाना तय है। सुबह का आना तय है। उलझन, परेशानी, थोड़ी सी बेचैनी थोड़ी सी हैरानी, डर कुछ खोने का, शुन्य सी ये जो दशा है। बस कुछ पल का है, बस कुछ पल का है।। शून्य मे एक और एक मे अनेक शुन्य जुड़ जाना तय है। हवा अभी खुद के विरुद्ध है तो क्या एक दिन इसका सुर मे ताल मिलाना तय है।। इन चुनौतियों का हार जाना तय है। मुझे पता है, शायद आज नही, कल नही हो सकता है परसो भी नही,, लेकिन एक ना एक दिन मेरा जीत जाना तय है।। पतझड़ का जाना तय है। वसंत का आना तय है।। ©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

#ballet वसंत का आना तय है।

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