r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

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bihar

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#DearKanha  मै जानती हूँ , हर राह तुम हो। 
धूप के बाद की छाव तुम हो। 

काली रातों के बाद की सुबह तुम हो,
बेचैन सी सुबह का धुन तुम हो।। 

हाँ सुकून तुम हो।। 

तुम से ही राग है । 
तुमपे  ही विश्वास है, 
तुमसे ही आश है 
चल पड़ते है बिन सोचे ही 
किसी राह पे 
क्योंकि मुझे पता है,,
मेरा सावरां हमेशा मेरे साथ है।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

#DearKanha मेरा सावरां

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#hibiscussabdariffa #कविता  अक्सर बिखर जाते हैं फूल खिलने पर, 
जब तक होता माली देख रेख को 
शायद तबतलक मुस्कुराते हैं। 

अक्सर बिखर जातें हैं फूल खिलने पर, 
ये महफूज होतें बाग़ियाँ मे 
पर ये सज किसी समारोह मे इठलाते हैं। 
पातें है अगली सुबह ही खुद को मुरझाया हुआ।। 

अक्सर शाख से टूट के वो फूल, वही फूल नही रहते, 
जो हवा के साथ बहते थे, सूरज की रौशनी मे चमकते थे। 
चिड़ियों और तितलियों की संगत मे चहकते थे।। 

इनके रंग उड़ने पर, 
अक्सर बिखर जाते हैं फूल खिलने पर।।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

#hibiscussabdariffa अक्सर बिखर जातें हैं फूल खिलने पर

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#कविता #ballet  मुझे पता है रात का ढल जाना तय है। 
सुबह का आना तय है। 

उलझन, परेशानी, थोड़ी सी बेचैनी 
थोड़ी सी हैरानी, डर कुछ खोने का,
शुन्य सी ये जो दशा है। 
बस कुछ पल का है, बस कुछ पल का है।। 

शून्य मे एक और एक मे अनेक शुन्य जुड़
जाना तय है। 
हवा अभी खुद के विरुद्ध है तो क्या
एक दिन इसका सुर मे ताल मिलाना तय है।। 
  
इन चुनौतियों का हार जाना तय है। 
मुझे पता है, शायद आज नही, कल नही
हो सकता है परसो भी नही,, 
लेकिन एक ना एक दिन मेरा जीत जाना तय है।। 

पतझड़ का जाना तय है। 
वसंत का आना तय है।।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

#ballet वसंत का आना तय है।

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#कविता #LongRoad  घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 
सुबह तो भाग दौड़ मे निकल जाती, 
शाम संग यादों का कारवां लाती है, 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है। 

सब कुछ है इस शहर मे, 
बस अपनापन नही, कोई अपना नही
करवटें बदलती रातों मे माँ की आँचल..। 
जरा सा तबियत बिगड़ जाने पे, 
पापा का वो हलचल... 
गाँव का वो डॉक्टर... 
जब खाना पकाते वक्त कभी अचानक से
जब अंगुली जल जाती है, 
खाना बन गया है आके खालो ये आवाज 
कान से होकर आँखों तक आ जाती है... 
बस मे धक्के खाते वक्त 
पापा का बाईक से  स्कूल  छोड़नी याद आती है। 
बड़े हो जाने पर बचपन की याद सताती है। 
घर से दूर घर की याद बहुत आती है।।

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#LongRoad कविता # घर की याद...

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#कविता #MainAurChaand  मै और चाँद अक्सर ये बातें किया करतें हैं... 
तुम भी हो अकेले और हम भी कुछ यूहीं तन्हा जिया
करते हैंं।
मै और चाँद अक्सर ये बातें किया करतें हैं ।

चाँद मुझसे कहता है 
तुम अकेले कहाँ हो, धरती के रंग हैं अनोखे
और तुम तो रहते रंग बिरंगी जहाँ मे हो ।
गाँव हैं, कस्बे हैं, घर है, परिवार है, दोस्त हैं, यार हैं, 
अरे तुम तो इन्सां हो ।
तुम कैसे तन्हा हो? 

जैसे तुम सितारों के बीच मे रहके भी अकेले हो ।
हर अमावस्या एकाकी जैसे रह जाते हो... 
साथ तारों का तुम चाँदनी मे ही पा पाते हो ।

वैसी ही कुछ इस रंग बिरंगी दुनिया की कहानी हैl
पलकों के पीछे पानी है...

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#MainAurChaand

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मन मे हर रोज ना जाने कितनी ख्वाहिशें शोर मचाती है। दिल बच्चा बनना चाहता है पर समझदारी बचपना खा जाती है। जब उम्र का एक ऐसा पड़ाव हो जहाँ शब्द भी देतें घाव हों। तब शिकायते औरो से नही खुद से रह जाती है। तब बीते दिन वो बचपन की बहुत याद आती है।। वो लड़कपन , वो बेफिक्री, आज जब हर बात सोच समझ के बोलना होता है, तो याद बचपन वाली नादानी आती है । ©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla

#कविता #MainAurChaand  मन मे हर रोज ना जाने कितनी ख्वाहिशें शोर 
मचाती है। 
दिल बच्चा बनना चाहता है पर समझदारी बचपना 
खा जाती है। 
जब उम्र का एक ऐसा पड़ाव हो जहाँ शब्द भी देतें
घाव हों। तब शिकायते औरो से नही खुद से रह जाती है। 
तब बीते दिन वो बचपन की बहुत याद आती है।। 

वो लड़कपन , वो बेफिक्री, आज जब हर बात सोच समझ 
के बोलना होता है, तो याद बचपन वाली नादानी आती है ।

©r̴i̴t̴i̴k̴a̴ shukla
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