खामोश लबों से कभी लफ्ज़ नहीं निकलते, बिन धोखे के | हिंदी शायरी

"खामोश लबों से कभी लफ्ज़ नहीं निकलते, बिन धोखे के कोई आशिक नहीं बिलखते, जिन आँखों में हो बदले की आग उन आँखों से कभी आंसू नहीं छलकते..... ©hittu prajapati"

 खामोश लबों से कभी लफ्ज़ नहीं निकलते, 
 बिन धोखे के कोई आशिक नहीं बिलखते, 
जिन आँखों में हो बदले की आग उन आँखों से कभी आंसू नहीं छलकते.....

©hittu prajapati

खामोश लबों से कभी लफ्ज़ नहीं निकलते, बिन धोखे के कोई आशिक नहीं बिलखते, जिन आँखों में हो बदले की आग उन आँखों से कभी आंसू नहीं छलकते..... ©hittu prajapati

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