कल'अदम कर दे ख्याले-ए-ज़िक्र तेरा , कोई ना कोई व | हिंदी शायरी

"" कल'अदम कर दे ख्याले-ए-ज़िक्र तेरा , कोई ना कोई वास्ता नहीं फिर क्यों हैं ज़िक्र तेरा , ग़ुनूदगी में रहते हैं जानें मैं कब तक तेरे क़फ़स में रहूं , मलाल तेरा फिर कुछ यूं हो की फिर कोई मलाल ना हो तेरा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram"

 " कल'अदम कर दे ख्याले-ए-ज़िक्र तेरा ,
कोई ना कोई वास्ता नहीं फिर क्यों हैं ज़िक्र तेरा ,
ग़ुनूदगी में रहते हैं जानें मैं कब तक तेरे क़फ़स में रहूं ,
मलाल तेरा फिर कुछ यूं हो की फिर कोई मलाल ना हो तेरा . " 

                     --- रबिन्द्र राम

©Rabindra Kumar Ram

" कल'अदम कर दे ख्याले-ए-ज़िक्र तेरा , कोई ना कोई वास्ता नहीं फिर क्यों हैं ज़िक्र तेरा , ग़ुनूदगी में रहते हैं जानें मैं कब तक तेरे क़फ़स में रहूं , मलाल तेरा फिर कुछ यूं हो की फिर कोई मलाल ना हो तेरा . " --- रबिन्द्र राम ©Rabindra Kumar Ram

" कल'अदम कर दे ख्याले-ए-ज़िक्र तेरा ,
कोई ना कोई वास्ता नहीं फिर क्यों हैं ज़िक्र तेरा ,
ग़ुनूदगी में रहते हैं जानें मैं कब तक तेरे क़फ़स में रहूं ,
मलाल तेरा फिर कुछ यूं हो की फिर कोई मलाल ना हो तेरा . "

--- रबिन्द्र राम

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