अश्रु सुनियो धीरज धरना,
प्रेम कठिन पर पार उतरना |
पग-पग काँटें हैं यह माना,
मेल विरह का ताना-बाना ||
हर ले मन की दुविधा सारी,
आशा ज्योत जलाकर न्यारी |
बाँधी है जब नेहा ऐसी ,
भय शंका तब बोलो कैसी ||
@पुष्पवृतियाँ
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©Pushpvritiya
#चौपाई
अश्रु सुनियो धीरज धरना,
प्रेम कठिन पर पार उतरना |
पग-पग काँटें हैं यह माना,
मेल विरह का ताना-बाना ||