जानते हो उस व्यक्ति को, जिसके आँखों के नीचे निशान है?
वो आँखें दबी हैं उसके सपनों के बोझ से, उन नैनों में, थकान है।
वो रोज़ भागता है उन सपनों को सच करने के लिए,
लेकिन अब लगता है उसका शरीर चूर है, उसके शरीर में, थकान है।
वो ऊपर से नीचे तक लथपथ है, अपने पसीने की बूंद से,
भोर तो निकला था कंधे उठाकर, लेकिन अब उन कंधों में, थकान है।
अपने जीवन को कोसता वो फिर ठोकर खाकर लौटा है,
उसे उजाले में भी अब अंधकार दिखता है, उसकी उम्मीदों में, थकान है।
प्रेम भी पाया उसने जीवन में जिसके लिए वो परेशान है,
उस प्रेम को पूरा करने को भी, उसके हृदय में, थकान है।
ना जाने क्यों उसे अपने आप से अब तकलीफ़ होती है,
शायद अपनी बेकारी पर माथा पीटता है, उसके मस्तिष्क में, थकान है।
इस भगदड़ से परेशान वो ठहराव की इच्छा रखता है,
उसका मन बेचैन है, उसकी हर साँस में, थकान है।
एक पल को सब भुलाकर वो बस "शून्य" को तड़पता है,
खालीपन में बैठा वो बस आत्मचिंतन को तरसता है।
©Deepanshu
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