प्रेमिकाओं से.., दृष्टि मिले तो; तो दृश् | हिंदी कविता

"प्रेमिकाओं से.., दृष्टि मिले तो; तो दृश्य अच्छे लगते है, नाटक मिले तो; अभिनय अच्छे लगते है, झपकी मिले तो; भविष्य अच्छे लगते है, नींद मिले तो; सपने अच्छे लगते है! प्रेमिकाओं से.., हाल मिले तो; बेहाल अच्छे लगते है, बात मिले तो; सार अच्छे लगते है, स्वर मिले तो; गाने अच्छे लगते है, इशारे मिले तो; तराने अच्छे लगते है! पर आजकल.., प्रेमिकाओं से.., खटाखट, खचाखच, मांग मिले तो, प्रेमी अकेले अच्छे लगते है! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich"

 प्रेमिकाओं से..,
     दृष्टि मिले तो;
     तो दृश्य अच्छे लगते है,
     नाटक मिले तो;
     अभिनय अच्छे लगते है,
     झपकी मिले तो;
     भविष्य अच्छे लगते है,
     नींद मिले तो;
     सपने अच्छे लगते है!
प्रेमिकाओं से..,
     हाल मिले तो;
     बेहाल अच्छे लगते है,
     बात मिले तो;
     सार अच्छे लगते है,
     स्वर मिले तो;
     गाने अच्छे लगते है,
     इशारे मिले तो;
     तराने अच्छे लगते है!
पर आजकल..,
प्रेमिकाओं से..,
खटाखट, खचाखच,
मांग मिले तो,
प्रेमी अकेले अच्छे लगते है!

डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि'

©Anand Dadhich

प्रेमिकाओं से.., दृष्टि मिले तो; तो दृश्य अच्छे लगते है, नाटक मिले तो; अभिनय अच्छे लगते है, झपकी मिले तो; भविष्य अच्छे लगते है, नींद मिले तो; सपने अच्छे लगते है! प्रेमिकाओं से.., हाल मिले तो; बेहाल अच्छे लगते है, बात मिले तो; सार अच्छे लगते है, स्वर मिले तो; गाने अच्छे लगते है, इशारे मिले तो; तराने अच्छे लगते है! पर आजकल.., प्रेमिकाओं से.., खटाखट, खचाखच, मांग मिले तो, प्रेमी अकेले अच्छे लगते है! डॉ आनंद दाधीच 'दधीचि' ©Anand Dadhich

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