बिछ चुकी है बिसाते फिर से , फिर नया अब एक खेल होग | हिंदी Poetry

"बिछ चुकी है बिसाते फिर से , फिर नया अब एक खेल होगा, कुर्सी बदलेगी या बदला कोई चेहरा होगा , फिर नया अब एक खेल होगा .... सब के आगे अब हाथ जुड़ेंगे , गर्दन शीश भी अब डट के झुकेंगे , मुख से केवल अब फूल की बरसाते होंगी , वादों के फिर से नए मेले लगेगे, फिर नया अब एक खेल होगा ..... आंखों में नई आशाएँ होगी , नित नई अभिलाषाएं होगी , फिर नया अब एक खेल होगा .... आगे पीछे नारों की जयकार होगी , चमचों के सहारे होंगे , सबको अब ये एहसास होगा , हर व्यक्ति अब ख़ास होगा , फिर नया अब एक खेल होगा ... फिर आएगी परिणाम की घड़ी , फिर सबके बहाने होंगे , जनता फिर मुनहार करेगी , नेताओ के द्वार पड़ेगी , नेता जी के होंगे जब सबके सामने , जाने कितने उनके बहाने होंगे ,, फिर हमको मत का महत्व समझ आएगा , फिर नया अब एक खेल होगा ..... फिर नया अब एक खेल होगा ... ©Pragya Karn"

 बिछ चुकी  है बिसाते फिर से ,
फिर नया अब एक खेल होगा,
 कुर्सी बदलेगी या बदला कोई चेहरा होगा ,
फिर नया अब एक खेल होगा ....
सब के आगे अब हाथ जुड़ेंगे ,
गर्दन शीश भी अब डट के झुकेंगे ,
मुख से केवल अब फूल की बरसाते होंगी ,
वादों के फिर से नए मेले लगेगे,
फिर नया अब एक खेल होगा .....
आंखों में नई आशाएँ होगी ,
नित नई अभिलाषाएं होगी ,
फिर नया अब एक खेल होगा ....
आगे पीछे नारों की जयकार होगी ,
चमचों के सहारे होंगे ,
सबको अब ये एहसास होगा ,
हर व्यक्ति अब ख़ास होगा ,
फिर नया अब एक खेल होगा ...
फिर आएगी परिणाम की घड़ी ,
फिर सबके बहाने होंगे ,
जनता फिर मुनहार करेगी ,
नेताओ के द्वार पड़ेगी ,
नेता जी के होंगे जब सबके सामने ,
जाने कितने उनके बहाने होंगे ,,
फिर हमको मत का महत्व समझ आएगा ,
फिर नया अब एक खेल होगा .....
फिर नया अब एक खेल होगा ...

©Pragya Karn

बिछ चुकी है बिसाते फिर से , फिर नया अब एक खेल होगा, कुर्सी बदलेगी या बदला कोई चेहरा होगा , फिर नया अब एक खेल होगा .... सब के आगे अब हाथ जुड़ेंगे , गर्दन शीश भी अब डट के झुकेंगे , मुख से केवल अब फूल की बरसाते होंगी , वादों के फिर से नए मेले लगेगे, फिर नया अब एक खेल होगा ..... आंखों में नई आशाएँ होगी , नित नई अभिलाषाएं होगी , फिर नया अब एक खेल होगा .... आगे पीछे नारों की जयकार होगी , चमचों के सहारे होंगे , सबको अब ये एहसास होगा , हर व्यक्ति अब ख़ास होगा , फिर नया अब एक खेल होगा ... फिर आएगी परिणाम की घड़ी , फिर सबके बहाने होंगे , जनता फिर मुनहार करेगी , नेताओ के द्वार पड़ेगी , नेता जी के होंगे जब सबके सामने , जाने कितने उनके बहाने होंगे ,, फिर हमको मत का महत्व समझ आएगा , फिर नया अब एक खेल होगा ..... फिर नया अब एक खेल होगा ... ©Pragya Karn

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