Pragya Karn

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दूर होकर भी करीब पाया तुम्हें ,, अब अपना नसीब बनाया तुम्हें,, गुस्सा होकर तुझसे, तुझसे ही बात करने को बेताब रहता है ये दिल ,, शायद तेरे हर लहजे में जादू है कोई,, जो दिल ने सबसे हसीन बताया तुम्हें ,, हाय, ये कातिल आंखें और चेहरा मासूम, शायद ,कुदरत ने फुरसत से बनाया तुम्हें दिल और धड़कन में रहेते हो तुम ,, एक पल भी नहीं भुलाया तुम्हें ,, मेरा खिलना-मुरझाना है तेरे हाथों में,, लो अपना दामन फैलाया तुम्हें ,, मेरे इन आंखों में तुम पढ़ लेना ,,, जो अब तक कह ना पाई तुम्हें ...... दूर होकर भी करीब पाया तुम्हे ,, अब अपना नसीब बनाया तुम्हे ...... ©Pragya Karn

#nojoto❤ #poetry❤ #tereliye #writing #love❤  दूर होकर भी करीब पाया तुम्हें ,,
अब अपना नसीब बनाया तुम्हें,, 

गुस्सा होकर तुझसे, 
तुझसे ही बात करने को बेताब रहता है ये दिल ,, 

  शायद तेरे हर लहजे में जादू है कोई,,
जो दिल ने सबसे हसीन बताया तुम्हें ,,

हाय, ये कातिल आंखें और चेहरा मासूम,
शायद ,कुदरत ने फुरसत से बनाया तुम्हें

दिल और धड़कन में रहेते हो तुम ,,
एक पल भी नहीं भुलाया तुम्हें ,,

मेरा खिलना-मुरझाना है तेरे हाथों में,,
 लो अपना दामन फैलाया तुम्हें ,,

मेरे इन आंखों में तुम पढ़ लेना ,,,
 जो अब तक कह ना पाई तुम्हें ......

दूर होकर भी करीब पाया तुम्हे ,,
अब अपना नसीब बनाया तुम्हे ......

©Pragya Karn

White एक घर में बचपन बीता ,दूसरे में जीवन बिताना पड़ता है , मां ,भाई ,बहन ,पापा का प्यार जाने कब दायरे में सिमट जाता है , उस घर आंगन भी जाने को सबसे इजाज़त लेना पड़ता है ,, एक हाथ से कई रिश्ते छूटे, दूजा हाथ कई रिश्तों के लिए बढ़ाना पड़ता है ,, कभी मन से कभी बेमन सारे रिश्ते निभाने पड़ते है , किसी एक शख्स के खातिर पूरी जिंदगी बदलनी पड़ती है , एक घर में बचपन बीता ,दूसरे में जीवन बिताना पड़ता है ..... एक घर में बचपन बीता,दूसरे में जीवन बिताना पड़ता है ...... ©Pragya Karn

#writing #poem  White एक घर में बचपन बीता ,दूसरे में जीवन बिताना पड़ता है ,
मां ,भाई ,बहन ,पापा का प्यार जाने कब दायरे में सिमट जाता है ,
उस घर आंगन भी जाने को सबसे इजाज़त लेना पड़ता है ,,
एक हाथ से कई रिश्ते छूटे, दूजा हाथ कई रिश्तों के लिए बढ़ाना पड़ता है ,, 
कभी मन से कभी बेमन सारे रिश्ते निभाने पड़ते है ,
किसी एक शख्स के खातिर पूरी जिंदगी बदलनी पड़ती  है ,
एक घर में बचपन बीता ,दूसरे में जीवन बिताना पड़ता है .....
एक घर में बचपन बीता,दूसरे में जीवन बिताना पड़ता है ......

©Pragya Karn

#nojoto #poem #writing g

13 Love

भीड़ में एक अजनबी का सामना अच्छा लगा , चुपके से उसका एक झलक देखना अच्छा लगा , उसके होठों पे एक हंसी का आना अच्छा लगा , उसे देख आँखो में एक चमक का आना अच्छा लगा , किसी से बात करते करते उसका जिक्र होना अच्छा लगा , कहते कहते कुछ किसी का सोचना अच्छा लगा , भीड़ में एक अजनबी का सामना अच्छा लगा ...... ©Pragya Karn

#poem✍🧡🧡💛 #love❤️ #nojoto❤ #tereliye  भीड़ में एक अजनबी का सामना अच्छा लगा ,
चुपके से उसका एक झलक देखना अच्छा लगा ,
उसके होठों पे एक हंसी का आना अच्छा लगा ,
उसे देख आँखो में एक चमक का आना अच्छा लगा ,
किसी से बात करते करते उसका जिक्र होना अच्छा लगा ,
कहते कहते कुछ किसी का सोचना अच्छा लगा , 
भीड़ में एक अजनबी का सामना अच्छा लगा ......

©Pragya Karn
#mothers_day  White 

मां क्या कैसे क्यूं रखूं तुम पर छंद तुमने रचा, 
गढ़ा मुझको, हूं मैं तुम्हारी ही निबंध ,,

जन्नत का हर लम्हा दीदार किया  ,
गोद मे उठाकर जब मॉ तुने प्यार किया ,

मां तेरी ममता का दरिया इतना गहरा कि कोई थाह नहीं, 
होते हैं दिल में हजारों चोट मगर, मुंह में ईक आह नहीं ,,

मां क्या कैसे क्यूं रखूं तुम पर छंद तुमने रचा, 
गढ़ा मुझको, हूं मैं तुम्हारी ही निबंध .....

©Pragya Karn

#mothers_day #Nojoto # Poem

162 View

बिछ चुकी है बिसाते फिर से , फिर नया अब एक खेल होगा, कुर्सी बदलेगी या बदला कोई चेहरा होगा , फिर नया अब एक खेल होगा .... सब के आगे अब हाथ जुड़ेंगे , गर्दन शीश भी अब डट के झुकेंगे , मुख से केवल अब फूल की बरसाते होंगी , वादों के फिर से नए मेले लगेगे, फिर नया अब एक खेल होगा ..... आंखों में नई आशाएँ होगी , नित नई अभिलाषाएं होगी , फिर नया अब एक खेल होगा .... आगे पीछे नारों की जयकार होगी , चमचों के सहारे होंगे , सबको अब ये एहसास होगा , हर व्यक्ति अब ख़ास होगा , फिर नया अब एक खेल होगा ... फिर आएगी परिणाम की घड़ी , फिर सबके बहाने होंगे , जनता फिर मुनहार करेगी , नेताओ के द्वार पड़ेगी , नेता जी के होंगे जब सबके सामने , जाने कितने उनके बहाने होंगे ,, फिर हमको मत का महत्व समझ आएगा , फिर नया अब एक खेल होगा ..... फिर नया अब एक खेल होगा ... ©Pragya Karn

#nojotapp  बिछ चुकी  है बिसाते फिर से ,
फिर नया अब एक खेल होगा,
 कुर्सी बदलेगी या बदला कोई चेहरा होगा ,
फिर नया अब एक खेल होगा ....
सब के आगे अब हाथ जुड़ेंगे ,
गर्दन शीश भी अब डट के झुकेंगे ,
मुख से केवल अब फूल की बरसाते होंगी ,
वादों के फिर से नए मेले लगेगे,
फिर नया अब एक खेल होगा .....
आंखों में नई आशाएँ होगी ,
नित नई अभिलाषाएं होगी ,
फिर नया अब एक खेल होगा ....
आगे पीछे नारों की जयकार होगी ,
चमचों के सहारे होंगे ,
सबको अब ये एहसास होगा ,
हर व्यक्ति अब ख़ास होगा ,
फिर नया अब एक खेल होगा ...
फिर आएगी परिणाम की घड़ी ,
फिर सबके बहाने होंगे ,
जनता फिर मुनहार करेगी ,
नेताओ के द्वार पड़ेगी ,
नेता जी के होंगे जब सबके सामने ,
जाने कितने उनके बहाने होंगे ,,
फिर हमको मत का महत्व समझ आएगा ,
फिर नया अब एक खेल होगा .....
फिर नया अब एक खेल होगा ...

©Pragya Karn

#nojotapp # chunav#poem

17 Love

#poem✍🧡🧡💛 #Girlslife #poetry❤ #nojohindi  एक और लड़की पराई हो चली ,
एक और घर सुना हो चला ,
वो बुलबुल अब पंख फैला उड़ चली है,
मां बाप के घर को सुना कर चली है,
ये जग की जाने कौन सी रीत है ,
जाने क्यों ऐसा होता है ,
जिस घर से घर को समझा ,
जिस घर में बचपन बीता,
उस घर ही जाने को ,जाने क्यों सबसे पूछना पड़ता है, 
जाने ,उस घर को क्यों छोड़ना पड़ता है ..... 
जाने ,उस घर को क्यों  छोड़ना पड़ता  है .....

©Pragya Karn
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