परिंदों को नहीं भाता, ये गारे ईंट का जंगल न जाने क | हिंदी शायरी Video

"परिंदों को नहीं भाता, ये गारे ईंट का जंगल न जाने क्यूँ शहर मेरा, बना कंक्रीट का जंगल दफ़न इनके तले मासूमियत, सपने, तमन्नाएं तरक़्क़ी बो गई पत्थर के लाखों फीट का जंगल ©Ravi Pandey "

परिंदों को नहीं भाता, ये गारे ईंट का जंगल न जाने क्यूँ शहर मेरा, बना कंक्रीट का जंगल दफ़न इनके तले मासूमियत, सपने, तमन्नाएं तरक़्क़ी बो गई पत्थर के लाखों फीट का जंगल ©Ravi Pandey

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