उम्मीदें जगी हैं आज जो सो गई थीं कभी यह बात मुझे म | हिंदी कविता
"उम्मीदें जगी हैं आज
जो सो गई थीं कभी
यह बात मुझे मालूम हुई है
बिल्कुल अभी अभी
चाहत मर गई थी
मरे शौक थे सभी
जन्म लिया दुबारा
खुली आँख फिर तभी
पुनर्जन्म आस्था का
रंग लाया इस क़दर
दुनिया की हर चीज़
लग रही मुझको हसीं
-अजय नेमा"
उम्मीदें जगी हैं आज
जो सो गई थीं कभी
यह बात मुझे मालूम हुई है
बिल्कुल अभी अभी
चाहत मर गई थी
मरे शौक थे सभी
जन्म लिया दुबारा
खुली आँख फिर तभी
पुनर्जन्म आस्था का
रंग लाया इस क़दर
दुनिया की हर चीज़
लग रही मुझको हसीं
-अजय नेमा