जब कभी माँ की, किसी सीधी सी बात पर, किसी को टेड़ा | हिंदी कविता

"जब कभी माँ की, किसी सीधी सी बात पर, किसी को टेड़ा जवाब देते हुए सुनती थी, तो वजह ढूंढती थी, माँ की खामोशियों की।। और आज अपनी खामोशी की वजह ढूँढती हूँ।। ©पारूल चौधरी"

 जब कभी माँ की, किसी सीधी सी बात पर, 
किसी को टेड़ा जवाब देते हुए सुनती थी, 
तो वजह ढूंढती थी, माँ की खामोशियों की।।
और आज अपनी खामोशी की वजह ढूँढती हूँ।।

©पारूल चौधरी

जब कभी माँ की, किसी सीधी सी बात पर, किसी को टेड़ा जवाब देते हुए सुनती थी, तो वजह ढूंढती थी, माँ की खामोशियों की।। और आज अपनी खामोशी की वजह ढूँढती हूँ।। ©पारूल चौधरी

जब कभी #माँ की, #किसी सीधी सी बात पर,
किसी को #टेड़ा #जवाब देते हुए #सुनती थी,
तो #वजह #ढूंढती थी, माँ की #खामोशियों की।।
और #आज अपनी #खामोशी की वजह ढूँढती हूँ।।

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