यादों के चौबारे में,
जाना मत अंगारे में,
ख़्वाब कहाँ पूरे होते,
टूटे नभ के तारे में,
मछली फँसी बता कैसे,
राज छुपा है चारे में,
बिस्तर तकिया गद्दा भी,
लगता प्यारा जाड़े में,
मिल जाती मंज़िल यारों,
प्रभु के एक इशारे में,
होती है रहमत रब की,
तरस खाय बेचारे में,
रहा भटकता आजीवन,
फ़र्क न कुछ बंजारे में,
गुंजन दिल की आवाज़ें,
दब गई ढोल नगारे में,
--शशि भूषण मिश्र
'गुंजन' चेन्नई
©Shashi Bhushan Mishra
#यादों के चौबारे में#