White शीर्षक- हम तो हैं परदेश में, क्या खबर हमको द | हिंदी कविता

"White शीर्षक- हम तो हैं परदेश में, क्या खबर हमको देश की ------------------------------------------------------------- हम तो हैं परदेश में, क्या खबर हमको देश की। बहुत दिनों से मिली नहीं, चिट्टी हमको देश की।। हम तो हैं परदेश में-------------------------।। हमें मतलबी मत समझना, भूलें नहीं हैं हम तुमको। प्यार तुम्हारा याद हमें हैं, करते हैं याद हम तुमको।। तड़पाती है रोज यादें बहुत, सच में हमको देश की। हम तो हैं परदेश में------------------------।। पँख लगाकर उड़ आये हम, मजबूरी नहीं हो यदि। मिल भी जाये वक़्त हमें भी, मजदूरी नहीं हो यदि।। भेज दो तुम ही तस्वीर अब, अपने हमको देश की। हम तो हैं परदेश में------------------------।। वैसे तो यहाँ कमी नहीं कुछ, मिलता है यहाँ प्यार भी। साथ है साथी बहुत हमारे, अच्छी है यहाँ बयार भी।। खलती है फिर भी एक कमी, अपने हमको देश की। हम तो हैं परदेश में--------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma"

 White शीर्षक- हम तो हैं परदेश में, क्या खबर हमको देश की
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हम तो हैं परदेश में, क्या खबर हमको देश की।
बहुत दिनों से मिली नहीं, चिट्टी हमको देश की।।
हम तो हैं परदेश में-------------------------।।

हमें मतलबी मत समझना, भूलें नहीं हैं हम तुमको।
प्यार तुम्हारा याद हमें हैं, करते हैं याद हम तुमको।।
तड़पाती है रोज यादें बहुत, सच में हमको देश की।
हम तो हैं परदेश में------------------------।।

पँख लगाकर उड़ आये हम, मजबूरी नहीं हो यदि।
मिल भी जाये वक़्त हमें भी, मजदूरी नहीं हो यदि।।
भेज दो तुम ही तस्वीर अब, अपने हमको देश की।
हम तो हैं परदेश में------------------------।।

वैसे तो यहाँ कमी नहीं कुछ, मिलता है यहाँ प्यार भी।
साथ है साथी बहुत हमारे, अच्छी है यहाँ बयार भी।।
खलती है फिर भी एक कमी, अपने हमको देश की।
हम तो हैं परदेश में--------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

White शीर्षक- हम तो हैं परदेश में, क्या खबर हमको देश की ------------------------------------------------------------- हम तो हैं परदेश में, क्या खबर हमको देश की। बहुत दिनों से मिली नहीं, चिट्टी हमको देश की।। हम तो हैं परदेश में-------------------------।। हमें मतलबी मत समझना, भूलें नहीं हैं हम तुमको। प्यार तुम्हारा याद हमें हैं, करते हैं याद हम तुमको।। तड़पाती है रोज यादें बहुत, सच में हमको देश की। हम तो हैं परदेश में------------------------।। पँख लगाकर उड़ आये हम, मजबूरी नहीं हो यदि। मिल भी जाये वक़्त हमें भी, मजदूरी नहीं हो यदि।। भेज दो तुम ही तस्वीर अब, अपने हमको देश की। हम तो हैं परदेश में------------------------।। वैसे तो यहाँ कमी नहीं कुछ, मिलता है यहाँ प्यार भी। साथ है साथी बहुत हमारे, अच्छी है यहाँ बयार भी।। खलती है फिर भी एक कमी, अपने हमको देश की। हम तो हैं परदेश में--------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

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