Gurudeen Verma

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White शीर्षक- इसके सिवा क्या तुमसे कहे -------------------------------------------------------- इसके सिवा क्या तुमसे कहे। आबाद सदा तुम खुश रहना।। गर आये कोई आफत तुमपे। हमसे छुपाकर नहीं रखना।। इसके सिवा क्या-----------------।। कभी नहीं समझना पराया हमको। दिलो- जान से हम चाहते हैं तुमको।। हमको अपना सदा मानकर तुम। हाल तुम्हारे बताते रहना।। इसके सिवा क्या-----------------।। हमने जो भी सपनें देखें हैं। रोशन दीये कर जो रखें हैं।। ताकि हमेशा तू रोशन रहें। मुकम्मल हो तेरा हर सपना।। इसके सिवा क्या------------------।। खुशियों से भरा तेरा दामन रहें।। मुस्कराता सदा तेरा चेहरा रहें।। गम का कोई साया तुझपे नहीं हो। हमेशा हंसते हुए तू रहना।। इसके सिवा क्या----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#रचनाकार #कविता  White शीर्षक- इसके सिवा क्या तुमसे कहे
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इसके सिवा क्या तुमसे कहे।
आबाद सदा तुम खुश रहना।।
गर आये कोई आफत तुमपे।
हमसे छुपाकर नहीं रखना।।
इसके सिवा क्या-----------------।।

कभी नहीं समझना पराया हमको।
दिलो- जान से हम चाहते हैं तुमको।।
हमको अपना सदा मानकर तुम।
हाल तुम्हारे बताते रहना।।
इसके सिवा क्या-----------------।।

हमने जो भी सपनें देखें हैं।
रोशन दीये कर जो रखें हैं।।
ताकि हमेशा तू रोशन रहें।
मुकम्मल हो तेरा हर सपना।।
इसके सिवा क्या------------------।।

खुशियों से भरा तेरा दामन रहें।।
मुस्कराता सदा तेरा चेहरा रहें।।
गम का कोई साया तुझपे नहीं हो।
हमेशा हंसते हुए तू रहना।।
इसके सिवा क्या----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

White शीर्षक - मत मन को कर तू उदास ----------------------------------------------------------------- मत मन को कर तू उदास। मत हो ऐसे तू निराश।। ले शिक्षा तू चींटी से। मत हो ऐसे तू हताश।। मत मन को तू -----------------------।। किसी से आशा क्या करना। मेहनत की पूजा तू करना।। बहेगा जब पसीना यार। बहेगा खुशियों का झरना।। मत मन को कर -------------------।। खुदा की नेमत है जिंदगी। बहुत अनमोल है जिंदगी।। बुराई से इसको बचा तू। दिखाती है राह भी जिंदगी।। मत मन को कर --------------------।। उनसे अब क्या मतलब तुमको। देते नहीं जो इज्जत तुझको।। पूछा नहीं कभी हाल तुम्हारा। मिलेगी मंजिल तेरी तुझको।। मत मन को कर ----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#रचनाकार #कविता  White शीर्षक - मत मन को कर तू उदास
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मत मन को कर तू उदास।
मत हो ऐसे तू निराश।।
ले शिक्षा तू चींटी से।
मत हो ऐसे तू हताश।।
मत मन को तू -----------------------।।

किसी से आशा क्या करना।
मेहनत की पूजा तू करना।।
बहेगा जब पसीना यार।
बहेगा खुशियों का झरना।।
मत मन को कर -------------------।।

खुदा की नेमत है जिंदगी।
बहुत अनमोल है जिंदगी।।
बुराई से इसको बचा तू।
दिखाती है राह भी जिंदगी।।
मत मन को कर --------------------।।

उनसे अब क्या मतलब तुमको।
देते नहीं जो इज्जत तुझको।।
पूछा नहीं कभी हाल तुम्हारा।
मिलेगी मंजिल तेरी तुझको।।
मत मन को कर ----------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

White शीर्षक - तुमसे करता हूँ मोहब्बत मैं जैसी ----------------------------------------------------------- तुमसे करता हूँ मोहब्बत मैं जैसी। करता नहीं हूँ और किसी से ऐसी।। तुमसे करता हूँ -----------------------।। और भी बहुत है, यहाँ मेरी माशूका। लेता हूँ आनंद बहुत, मैं उनके हुस्न का।। फिर भी नहीं हूँ उनकी गिरफ्त में इतना। चाहता हूँ तुमको मैं, सच में इतना।। तुमसे करता हूँ -----------------------।। शौकीन बहुत हूँ मैं, इन हसीनाओं का। लेता हूँ मौज बहुत मैं, इन हसीं फूलों का।। चेहरा है फिर भी, इन आँखों में तुम्हारा ही। आता है ख्वाब अब भी, मुझको तुम्हारा ही।। तुमसे करता हूँ -----------------------।। प्यार भी मुझको, ये बहुत करती है। बनाने को सनम, ये इच्छा रखती है।। लेकिन दिल में तो, बसी है तू ही। मेरे दिल की भी, खुशी है तू ही।। तुमसे करता हूँ -----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#रचनाकार #कविता  White शीर्षक - तुमसे करता हूँ मोहब्बत मैं जैसी
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तुमसे करता हूँ मोहब्बत मैं जैसी।
करता नहीं हूँ  और किसी से ऐसी।।
तुमसे करता हूँ -----------------------।।

और भी बहुत है, यहाँ मेरी माशूका।
लेता हूँ आनंद बहुत, मैं उनके हुस्न का।।
फिर भी नहीं हूँ उनकी गिरफ्त में इतना।
चाहता हूँ तुमको मैं, सच में इतना।।
तुमसे करता हूँ -----------------------।।

शौकीन बहुत हूँ मैं, इन हसीनाओं का।
लेता हूँ मौज बहुत मैं, इन हसीं फूलों का।।
चेहरा है फिर भी, इन आँखों में तुम्हारा ही।
आता है ख्वाब अब भी, मुझको तुम्हारा ही।।
तुमसे करता हूँ -----------------------।।

प्यार भी मुझको, ये बहुत करती है।
बनाने को सनम, ये इच्छा रखती है।।
लेकिन दिल में तो, बसी है तू ही।
मेरे दिल की भी, खुशी है तू ही।।
तुमसे करता हूँ -----------------------।।





शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

White शीर्षक - कैसे हो गया बेखबर तू , हमें छोड़कर जाने वाले ------------------------------------------------------------------------- कैसे हो गया बेखबर तू , हमें छोड़कर जाने वाले। समझा नहीं क्यों दर्द दिल का, दूर हमसे जाने वाले।। कैसे हो गया बेखबर तू -----------------------------।। अब तक रहा नहीं तू , कभी बिन हमारे। लगा रहा सीने से, हरपल हमारे।। क्यों छोड़ दी तूने आज मेरी बाँहें। छोड़कर मेरा साथ, ओ जाने वाले।। कैसे हो गया बेखबर तू ---------------------------।। भूल गया कैसे तू , मिलन की कहानी। टहलना चमन में, अपने लबों की रवानी।। की थी वफ़ा तूने, सँग जीने की। तोड़कर मेरा दिल, ओ जाने वाले।। कैसे हो गया बेखबर तू ---------------------------।। मंझदार में मुझको, तुमने छोड़ दिया। मेरी खुशी, मेरा चैन, तुमने लूट लिया।। बहक गया कैसे, तू राह में। पकड़ और का हाथ, ओ जाने वाले।। कैसे हो गया बेखबर तू -------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#रचनाकार #कविता  White शीर्षक - कैसे हो गया बेखबर तू , हमें छोड़कर जाने वाले
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कैसे हो गया बेखबर तू , हमें छोड़कर जाने वाले।
समझा नहीं क्यों दर्द दिल का, दूर हमसे जाने वाले।।
कैसे हो गया बेखबर तू -----------------------------।।

अब तक रहा नहीं तू , कभी बिन हमारे।
लगा रहा सीने से, हरपल हमारे।।
क्यों छोड़ दी तूने आज मेरी बाँहें।
छोड़कर मेरा साथ, ओ जाने वाले।।
कैसे हो गया बेखबर तू ---------------------------।।

भूल गया कैसे तू , मिलन की कहानी।
टहलना चमन में, अपने लबों की रवानी।।
की थी वफ़ा तूने, सँग जीने की।
तोड़कर मेरा दिल, ओ जाने वाले।।
कैसे हो गया बेखबर तू ---------------------------।।

मंझदार में मुझको, तुमने छोड़ दिया।
मेरी खुशी, मेरा चैन, तुमने लूट लिया।।
बहक गया कैसे, तू राह में।
पकड़ और का हाथ, ओ जाने वाले।।
कैसे हो गया बेखबर तू -------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

White शीर्षक- जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना ------------------------------------------------------------ जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना, मुकुर गया वो तुमसे। मिलाया नहीं हाथ किसी ने तुमसे।।-----------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।। एक था वो जिसने जाना नहीं कभी। मेरे बारे में उसने सोचा नहीं कभी।। चाहता नहीं था वो बात करना। उठाया नहीं कभी परदा दिल से।।-----------(2) जिसको भी चाहा तुमने --------------------।। और वो तो खेला जीभरकै दिल से। बनाया दीवाना हमको अपने हुस्न से।। उसको मिल गया कोई हमसे बेहतर। छुड़ा लिया दामन उसने भी हमसे।।-------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ---------------------।। अब ऐसी सूरत से पायेंगे क्या हम। होंगे नहीं इससे बर्बाद क्या हम।। मतलब है इसको सिर्फ पैसों से। मतलब नहीं इसको मेरे इस दिल से।।------------(2) जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #कविता  White शीर्षक- जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
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जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना, मुकुर गया वो तुमसे।
मिलाया नहीं हाथ किसी ने तुमसे।।-----------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।।

एक था वो जिसने जाना नहीं कभी।
मेरे बारे में उसने सोचा नहीं कभी।।
चाहता नहीं था वो बात करना।
उठाया नहीं कभी परदा दिल से।।-----------(2)
जिसको भी चाहा तुमने --------------------।।

और वो तो खेला जीभरकै दिल से।
बनाया दीवाना हमको अपने हुस्न से।।
उसको मिल गया कोई हमसे बेहतर।
छुड़ा लिया दामन उसने भी हमसे।।-------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ---------------------।।

अब ऐसी सूरत से पायेंगे क्या हम।
होंगे नहीं इससे बर्बाद क्या हम।।
मतलब है इसको सिर्फ पैसों से।
मतलब नहीं इसको मेरे इस दिल से।।------------(2)
जिसको भी चाहा तुमने ----------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

©Gurudeen Verma

White शीर्षक- हम तो हैं परदेश में, क्या खबर हमको देश की ------------------------------------------------------------- हम तो हैं परदेश में, क्या खबर हमको देश की। बहुत दिनों से मिली नहीं, चिट्टी हमको देश की।। हम तो हैं परदेश में-------------------------।। हमें मतलबी मत समझना, भूलें नहीं हैं हम तुमको। प्यार तुम्हारा याद हमें हैं, करते हैं याद हम तुमको।। तड़पाती है रोज यादें बहुत, सच में हमको देश की। हम तो हैं परदेश में------------------------।। पँख लगाकर उड़ आये हम, मजबूरी नहीं हो यदि। मिल भी जाये वक़्त हमें भी, मजदूरी नहीं हो यदि।। भेज दो तुम ही तस्वीर अब, अपने हमको देश की। हम तो हैं परदेश में------------------------।। वैसे तो यहाँ कमी नहीं कुछ, मिलता है यहाँ प्यार भी। साथ है साथी बहुत हमारे, अच्छी है यहाँ बयार भी।। खलती है फिर भी एक कमी, अपने हमको देश की। हम तो हैं परदेश में--------------------------।। शिक्षक एवं साहित्यकार गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान) ©Gurudeen Verma

#गीतकार #कविता  White शीर्षक- हम तो हैं परदेश में, क्या खबर हमको देश की
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हम तो हैं परदेश में, क्या खबर हमको देश की।
बहुत दिनों से मिली नहीं, चिट्टी हमको देश की।।
हम तो हैं परदेश में-------------------------।।

हमें मतलबी मत समझना, भूलें नहीं हैं हम तुमको।
प्यार तुम्हारा याद हमें हैं, करते हैं याद हम तुमको।।
तड़पाती है रोज यादें बहुत, सच में हमको देश की।
हम तो हैं परदेश में------------------------।।

पँख लगाकर उड़ आये हम, मजबूरी नहीं हो यदि।
मिल भी जाये वक़्त हमें भी, मजदूरी नहीं हो यदि।।
भेज दो तुम ही तस्वीर अब, अपने हमको देश की।
हम तो हैं परदेश में------------------------।।

वैसे तो यहाँ कमी नहीं कुछ, मिलता है यहाँ प्यार भी।
साथ है साथी बहुत हमारे, अच्छी है यहाँ बयार भी।।
खलती है फिर भी एक कमी, अपने हमको देश की।
हम तो हैं परदेश में--------------------------।।




शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

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