कैसी दौड़ लगी है
हर कोई भागने में लगा है
रुकने का कोई नाम नहीं ले रहा
यह सच है
दौड़ ही जिंदगी है लेकिन
कब और कितना दौड़ना चाहिए
यह भी पता होना जरूरी है
शेर भी दौड़ता है
घोड़ा हिरण भी दौड़ते हैं
दोनो को बखूबी पता होता है
कब दौड़ना होता है
कब रुकना होता है
यही वजह है
एक साथ रहकर
ख़ुद को जंगल में जिंदा रख पाते हैं
–अjay नायक ‘वशिष्ठ’
©AJAY NAYAK
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#कविता
कैसी दौड़ लगी है
हर कोई भागने में लगा है
रुकने का कोई नाम नहीं ले रहा
यह सच है
दौड़ ही जिंदगी है लेकिन