अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का
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शादी की सालगिरह पर बहुत-बहुत बधाई है ,
अर्धांगिनी नहीं , लक्ष्मी घर आई है,
खामोशियां नहीं खुशियां घर लाई है।
मुर्झाए चेहरों पर मुस्कराहट लुटा रही है,
बिगड़ैल पति को प्यार से संवार रही है।
अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का ,
जन्म दाता है तुम्हारे संहार का।
आज का दिन बहुत खाश है इतिहास बना लो,
पत्नी जिंदगी कि सांस है , तन में बसा लो।
वक्त चक्र है मिलकर संस्कृति बचालो।।
मालाकार संस्कार है हर पंक्ति का,
पति - पत्नी के सात्विक शक्ति का।
एक हाथ में गुलाब दुसरे में कमल थाम लो,
मन से प्यार , दिल से भाजपा को मान लो।
घर भी चमकाएंगे , देश भी चमकाएंगे यह ठान लो।
प्यार दूसरों के घर से चलकर तुम्हारे घर आई है,
माता पिता भाई बहन को रुलाकर तुम्हें हंसाई है।
तुम्हें भगवान मान कर तुम्हारा घर बसाई है,
शादी की सालगिरह पर बहुत-बहुत बधाई है।।
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कवि - प्रमोद मालाकार
©pramod malakar
#अर्धांगिनी अर्ध है प्यार का।