थक गई हूं, थक कर टूट गई हूं इस एक तरफा रिश्ते को न

"थक गई हूं, थक कर टूट गई हूं इस एक तरफा रिश्ते को निभाते निभाते। अंदर से टूट गई हूं अपनी मोहब्बत की दो तरफा जिम्मेदारी अकेले निभाते हुए। टूट कर मर चुंगी हूं अकेले रिश्ते निभाते हुए कभी तो तू भी समझें हमारे रिश्ते की जिम्मेदारी की इसी आश में जिये जा रहे है। यह दुनियां तेरे पर कोई इल्ज़ाम ना लगाएं मजबूर हूं मुस्कुराने को। जूठी मुस्कान और जूठी आशा के साथ जीये जा रही जिंदगी के फसाने को।"

 थक गई हूं, थक कर टूट गई हूं इस एक तरफा रिश्ते को निभाते निभाते।
अंदर से टूट गई हूं अपनी मोहब्बत की दो तरफा जिम्मेदारी अकेले निभाते हुए।
टूट कर मर चुंगी हूं अकेले रिश्ते निभाते हुए
कभी तो तू भी समझें हमारे रिश्ते की जिम्मेदारी की इसी आश में जिये जा रहे है।
यह दुनियां तेरे पर कोई इल्ज़ाम ना लगाएं मजबूर हूं मुस्कुराने को।
जूठी मुस्कान और जूठी आशा के साथ जीये जा रही जिंदगी के फसाने को।

थक गई हूं, थक कर टूट गई हूं इस एक तरफा रिश्ते को निभाते निभाते। अंदर से टूट गई हूं अपनी मोहब्बत की दो तरफा जिम्मेदारी अकेले निभाते हुए। टूट कर मर चुंगी हूं अकेले रिश्ते निभाते हुए कभी तो तू भी समझें हमारे रिश्ते की जिम्मेदारी की इसी आश में जिये जा रहे है। यह दुनियां तेरे पर कोई इल्ज़ाम ना लगाएं मजबूर हूं मुस्कुराने को। जूठी मुस्कान और जूठी आशा के साथ जीये जा रही जिंदगी के फसाने को।

#अनकहा अल्फ़ाज़

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