शायद ये lockdown तुमने पहली बार जिया होगा ,
पर हमने सदियों से हर रोज इस lockdown को जिया है,
हां मुझे बिल्कुल भी फ़र्क नहीं पड़ता अब कि कौन सा बाजार बंद हैं , कौन सा होटल खुला है,
हां बस ये फ़र्क जरूर पड़ा है कि शोर करती सबके शांत हो गई हैं , पंछियों के चहचहाने की आवाज़ सुनाई पड़ने लगी हैं ,
हां बाकी मुझे फ़र्क नहीं पड़ता अब कि कौन सा पार्क बंद है, कौन सी गालियां खुली हैं,
हमारे लिए जो लक्ष्मण रेखा खींचते आए हो सदियों से
शायद पहली दफा महसूस किया होगा
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