तेरे कोमल नयन,मखमल रादपुट और देह में कंचन सी बात होती..
हृदयग्राही उरोज,मनमोहक कटिभाग,शीतल स्वरों में हरद्याचीर्ण सी धार होती..
उर्वशी भी निज खिजे ,नित जन्नत में भी तेरे नूर की बात होती..
ऐसे सौंदर्य को मैं लिखना चाहूं गजलों में मगर तुम दात नही देती..!
©Rajendra Jakhad