Rajendra Jakhad

Rajendra Jakhad Lives in Kuchaman City, Rajasthan, India

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#मोटिवेशनल #sister  White पक्ष में नहीं होगा नसीब का फैसला..
बार बार टूटेगा मन का हौसला..
भय और चिंता की घटाये छायेगी..
मन के धरातल पर सारी मेहनत शून्य नजर आयेगी..
मन का कण कण बिखरेगा..
हृदय का रुदन आंखों से बहार निकलेगा..
मगर तू फिर से चिंतन करना..
स्वयं को थोड़ा सम्बल देना..
माना के पक्ष में नहीं समय का फैसला..
फिर भी तुम कर्म को बल देना..
फिर चुनना लक्ष्य को,फिर से नई शुरूआत करना..
फिर से नया संघर्ष नई कहानी लिखना तुम..
अपनी मेहनत,अपना कौशल दिखलाना तुम..
और क्या फिकर करते हो जमाने की..
अभी तुम्हारा भाई जिंदा है..
और लगे फिर भी कोई दुविधा मन में..
तो अभी तुम्हारा बाप जिंदा है..!

©Rajendra Jakhad

# motivation #sister

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#भंगारवाले #कोट्स  सस्ती प्रसिद्धि के लिए अनमोल इंसान मार दिया..
सोशल मीडिया के बहादुर कायरो ने जीवन लटकता छोड़ दिया..
रे राजस्थानी धरती तूने कैसे शुरविरो को जन्म दिया..
reels के चक्कर में एक दादा,एक पिता,एक पति,एक भाई,एक संघर्ष मार दिया..

©Rajendra Jakhad

#भंगारवाले बाबा#राजस्थान

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#जानकारी  तेरी नजाकत के नजारे बड़ी नजाकत से देख रहा मैं..
आज मेरे सामने हाथ फैला रहे वो जिनके आगे था फैला रहा मैं..
अब बड़ी असमंजस सोच में पड रहा मैं..
हिसाब बराबर किया जाये या जैसा था वैसा रहूं मैं..।

©Rajendra Jakhad

तेरी नजाकत के नजारे बड़ी नजाकत से देख रहा मैं.. आज मेरे सामने हाथ फैला रहे वो जिनके आगे था फैला रहा मैं.. अब बड़ी असमंजस सोच में पड रहा मैं.. हिसाब बराबर किया जाये या जैसा था वैसा रहूं मैं..। ©Rajendra Jakhad

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#जानकारी #achievement  दुनिया ने जिसको ठुकराया..
उसने ही करतब दिखलाया..
पग पग पर जिसका अपमान हुआ..
वही हुआ उठ खड़ा,फिर सम्मान हुआ..
जिसने संघर्षो की है ज्वाला झेली..
उसने ही सफलता की शिखर देखी..
खुद की खोज में चलना होगा..
आजाद गगन में उड़ना होगा..
आदर पाना है अगर नदियों सा..
तो घर छोड़ निकालना होगा..!

©Rajendra Jakhad

#achievement

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#umeedein #लव  अंधेरी रातों को रोशन करने वाला चांद हो तुम..
बहती नदियों के प्रवाह को रोकने वाला बांध हो तुम..
और सौंदर्य की ज्वाला नही ज्वार हो तुम..
धीरे धीरे मजबूत होता मन का लगाव हो तुम..

©Rajendra Jakhad

#umeedein

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#लव  तेरे कोमल नयन,मखमल रादपुट और देह में कंचन  सी  बात होती..
हृदयग्राही उरोज,मनमोहक कटिभाग,शीतल स्वरों में हरद्याचीर्ण सी धार होती..
उर्वशी भी निज खिजे ,नित जन्नत में भी तेरे नूर की बात होती..
ऐसे सौंदर्य को मैं लिखना चाहूं गजलों में मगर तुम दात नही देती..!

©Rajendra Jakhad

तेरे कोमल नयन,मखमल रादपुट और देह में कंचन सी बात होती.. हृदयग्राही उरोज,मनमोहक कटिभाग,शीतल स्वरों में हरद्याचीर्ण सी धार होती.. उर्वशी भी निज खिजे ,नित जन्नत में भी तेरे नूर की बात होती.. ऐसे सौंदर्य को मैं लिखना चाहूं गजलों में मगर तुम दात नही देती..! ©Rajendra Jakhad

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