हम उन से अगर मिल बैठे हैं क्या दोश हमारा होता है
कुछ अपनी जसारत होती है कुछ उन का इशारा होता है
कटने लगीं रातें आँखों में देखा नहीं पलकों पर अक्सर
या शाम-ए-ग़रीबाँ का जुगनू या सुब्ह का तारा होता है
©words_of_heart_pa
हम उन से अगर मिल बैठे हैं क्या दोश हमारा होता है
कुछ अपनी जसारत होती है कुछ उन का इशारा होता है
कटने लगीं रातें आँखों में देखा नहीं पलकों पर अक्सर
या शाम-ए-ग़रीबाँ का जुगनू या सुब्ह का तारा होता है