अहल-ए-सुखन अहली बात करते हुए आना जब भी आना मुलाकात | हिंदी शायरी

"अहल-ए-सुखन अहली बात करते हुए आना जब भी आना मुलाकात करते हुए आना सुनो ए आसमान में उड़ते हुए बादल जब भी आना मेरे गाँव में बरसात करते हुए आना बहुत थक गया हूँ मैं तेरी रोशनाई से ऐ सुरज अगली सुबह आना तो लम्बी रात करते हुए आना ©आला चौहान"मुसाफ़िर""

 अहल-ए-सुखन अहली बात करते हुए आना
जब भी आना मुलाकात करते हुए आना

सुनो ए आसमान में उड़ते हुए बादल
जब भी आना मेरे गाँव में बरसात करते हुए आना

 बहुत थक गया हूँ मैं तेरी रोशनाई से ऐ सुरज
 अगली सुबह आना तो लम्बी रात करते हुए आना

©आला चौहान"मुसाफ़िर"

अहल-ए-सुखन अहली बात करते हुए आना जब भी आना मुलाकात करते हुए आना सुनो ए आसमान में उड़ते हुए बादल जब भी आना मेरे गाँव में बरसात करते हुए आना बहुत थक गया हूँ मैं तेरी रोशनाई से ऐ सुरज अगली सुबह आना तो लम्बी रात करते हुए आना ©आला चौहान"मुसाफ़िर"

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